SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 255
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ योग शास्त्र [२२६ लोग धन के लिए सरकार के करों की चोरी करते हैं । तथा स्पष्टतः (Clearification) यह कहते हैं कि सरकार ने टैक्स लगाए ही इतने हैं कि करचोरी करनी ही पड़ती है । करचोरी करने वालों से पूछा जाए कि सरकार तुम से कर लेती है तो क्या उस के विनिमय में तुम को वह क्या कुछ नहीं देती ? आप सरकार से सैनिक तथा नागरिक सुरक्षा प्राप्त करते हैं । सरकार से प्रत्येक सुविधा जैसे जल, भोजन वितरण, विद्युत, भूमि, उद्योग, सड़कें प्राप्त करते हैं । सरकार यदि इन सुविधाओं पर पाबंदी लगा दे तो क्या आप कोई भी कार्य कर सकेंगे ? आप विद्युत्, जल आदि का कर देते हैं तो आय कर देने से क्यों घबरा जाते हैं ? आप यह भूल जाते हैं कि आप के द्वारा प्रदत्त आयकर सारे भारत की रक्षा व्यवस्था के लिए भी पर्याप्त नहीं होता । ब्लैक मनी की समस्या से आज हर देश की सरकार चिंतित हैं | काला बाजारी, स्मगलिंग हेराफेरी, डुप्लीकेट एकांऊट की Marati आदि प्रत्येक से अर्थ व्यवस्था पर प्रबल चोट लगती है । पूंजीपति का संगृहीत धन भी गरीबों तक नहीं पहुंच पाता है । पूंजीवाद से गरीबों का शोषण भी होता हैं । शासकीय चोरी दंडनीय भी होती है । राष्ट्र की गुप्त रक्षा व्यवस्था के दस्तावेजों की चोरी तथा जासूसी से भी देश का अधःपतन होता है - अर्थ - व्यवस्था भंग करने तथा भ्रष्टाचार फैलाने वाले तत्वों से समाज तथा देश को बचाने की आवश्यकता है । सरकार के प्रत्येक विभाग में रिश्वत की शक्ति का उद्घोष है । इस में रिश्वत लेने वालों का हो दोष नहीं, रिश्वत देने वालों कभी दोष है । कोई रिश्वत देगा ही नहीं, तो कोई लेगा कैसे ? हमारे देश में एक ऐसी संस्था बन चुकी है जो भ्रष्टाचार को कानूनी मान्यता प्राप्त करवाने को कटिबद्ध हैं । उस का तर्क हैं कि जब भ्रष्टाचार के बिना चल नहीं सकता तो उसे कानून Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004233
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashobhadravijay
PublisherVijayvallabh Mission
Publication Year
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy