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________________ २१४] सत्य सत्य मान रहे हैं । वे भी समझते हैं कि विनाश का प्रारम्भ कराने वाला ही अपनी सम्पूर्ण शक्ति को समाप्त कर देगा। परमाणु बमों के भय से ही युद्ध का भय टला हुआ है । अन्यथा एक भी देश के निर्बल होने पर शत्रु का आक्रमण शीघ्र ही हो सकता है। परन्तु परमाणु बमों के साये में पल रही शांति श्मशान की भयानक शांति होती है । इस शांति को यदि अहिंसा से जोड़ दिया जाए तो यह शांति स्थायी हो सकती है। परन्तु यह परम सत्य है कि कटु सत्य का सामना करने वाला ही स्थायी शांति को प्राप्त कर सकता है। - सत्य बोलने में यदि किसी भय को भी मोल लेना हो तो ले लेना चाहिए। क्योंकि उस का परिणाम भी अच्छा ही होता है। ' वाणी में भी सत्य को ही स्थान देना चाहिए। जो वचन दो, उसे पूरी तरह से निभाना चाहिए । 'प्राण जाए पर वचन न जाए। प्राणों की बाजी लगा कर भी वचन को सत्य कर दिखाना चाहिए। वाणी से जो प्रतिज्ञा की हो, मरणांतकष्ट आने पर भी उस का पालन करना चाहिए। यही सत्य की कसौटी है। _ 'सत्यवादी भवेद् वक्ता।' ___ वक्ता भी वही होता है जो सत्यवादी हो । यदि कोई वक्ता असत्य का सुन्दर प्रतिपादन करता हो तो वह वक्ता कैसा? अपनी प्रतिष्ठा बनाने के लिए असत्या बोलन-कहां तक उचित सदैव सत्यवचन बोलने वाले को सिद्धि प्राप्त हो जाती है। फिर वह इच्छापूर्वक या अनायास ही जो कुछ बोलता है वह स्वयमेव सही होता चला जाता है उसके मुख से जो भी निकलता है वह सत्य का ही प्रतिरूप होता है। योगी महात्माओं को वचन की सिद्धि अनायास ही प्राप्त नहीं होती, वचन की सिद्धि सत्यता तथा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004233
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashobhadravijay
PublisherVijayvallabh Mission
Publication Year
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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