________________
योग शास्त्र
1
धम्मो मंगल मुक्किट्ठ अहिंसा संजमो तवो। भगवान् महावीर तो अहिंसा के विना घर्म की कल्पना भी नहीं करते । अहिंसा, संयम ( ब्रह्मचर्य) तथा तप ( जो कि तवेसु. वा उत्तमं बंभचेरं के अनुसार ब्रह्मचर्य में ही सम्मिलित हो जाता है) धर्म का स्वरूप है ।
निमित्त से भी हिंसा होती है यदि आप अपनी तलवार को खूंटे पर टांग कर कहीं चले जाते हैं तथा उस पर बैठने वाला कोई पक्षी कट जाता है अथवा कोई व्यक्ति उस तलवार से कोई हिंसा कर देता है तो उस का पाप आपको ही लगेगा क्योंकि आप ने ही उस तलवार को लापरवाही से रखा तथा हिंसा होने में आप निमित्त बनें । इसी प्रकार आप की बन्दूक से कोई व्यक्ति किसी की हत्या कर देता है तो उस का पाप भी आप को ही लगेगा ।
यदि कोई हलवाई रात्रि के समय जलती भट्टी को बुझाए बिना घर पर चला जाता है। रात्रि में कोई चूहा आदि प्राणी उस में मृत्यु को प्राप्त हो जाए तो उस प्राणी की हत्या का दोष हलवाई को ही लगेगा।
मुर्गी घर (Poltry form) बनाने वाले यद्यपि मुर्गी को मारते तो नहीं परन्तु उस से उस का अंडा छीन लेते हैं । जहां वह अंडा देती हैं वह स्थान फिसलने वाला होता है । अंडे के वहां पड़ते ही वह नीचे आ जाता है तथा मुर्गी देखती रह जाती है । उस स्थान पर मुर्गी को बहुत जकड़ कर बिठाया जाता है जहां उस के लिए हिलना भी मुश्किल होता है। मुर्गी की यह परितापना -यह उत्पीड़न मानवीय हृदय को करुणा से भर देता है । फिर भी उस मुर्गी के अंडे को शाकाहारी आदि कहा जाता है । वह अंडा शाकाहारी नहीं, उस अंडे में तो मुर्गी की आहें छिपी रहती हैं ।
एक कवि ने कहा थामत सता जालिम किसी को, दिल के दुख जाने से उस के
[१९८
Jain Education International
मत किसी की आह ले । आसमां हिल जाएगा ॥
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org