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पर Press-Work भी शनैः-शनैः हुआ। प्रूफ संशोधन आदि में इसी कारण से विलम्ब हुआ। अब ६ मास की अनावश्यक प्रतीक्षा के पश्चात् ग्रन्थ आप के हाथों में है। आप को ही निर्णय करना है कि ग्रंथ कैसा है ?
योग शास्त्र भाग-२, जब भो प्रकाशित होगा, वह मात्र अष्ट प्रवचन माता, मार्गानुसारो के ३५ गुणों का ही प्रतिपाद क होगा।
लेखन में मेरा यह प्राथमिक प्रयास है। यदाकदा कविता (भजन) लिखने का अवसर भी प्राप्त हो जाता है । मुझे प्रसन्नता हैं कि 'संगीत मंजरी' भाग १-२ की ४५०० प्रतियां भी दो वर्ष में जनता को रुचि के कारण समाप्त हो गई। जैन प्रश्न माला भी पर्याप्त लोकप्रिय बनी।
इस अमूल्य ग्रंथ के साथ-साथ 'जैन-हस्त-रेखा-शास्त्र' भी प्रकाशित हो रहा है । "समाज की बेड़ियां केसे टूटे ग्रन्थ भो प्रकाशनाधीन है । “१०० दुर्गुणों को चिकित्सा" पुस्तक भी प्रैस में है ।
इस भीवंडो चातुर्मास में आयोजित १० जाहेर प्रवचनों के प्रकाशन का कार्य भो प्रारम्भ हो चुका है । आशा है कि पाठक इन ग्रन्थों में जो कुछ श्रेष्ठ है, उसी पर दृष्टिपात करेंगे तथा जो कुछ स्वाद रहित हैं उसके लिए मुझे सूचित करेंगे।
पुस्तक में मात्र लगभग २० विषयों का ही विवेचन है जिस से यह ग्रन्थ विषय-विवेचन की दृष्टि से भी सुपाठ्य है।
_ 'विजय वल्लभ मिशन' को स्थापना गुरु वल्लभ के आदर्शों को पूर्ति के लिए ही की गई है। लगभग एक वर्ष पूर्व इस संस्था को स्थापना के पश्चात् संस्था ने अनेक क्षेत्रों में प्रगति की है। पुस्तक प्रकाशन का कार्य भी इस संस्था के द्वारा प्रारम्भ हो चुका है। हमारे प्रकाशनाधीन छोटे बड़े १५ ग्रन्थ इसी संस्था के द्वारा प्रकाशित हो रहे हैं। मुझे 'विजय वल्लभ मिशन' की स्थापना करने को
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