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योग शास्त्र
[१५१ विधि को जीवन में आजमाना भी तो पड़ता है। बिना प्रयोग के अमरत्व की प्राप्ति कैसे हो सकती है ? १८ ॐ सरस्वतत्यै नमः ।
विद्या की देवी सरस्वती को नमस्कार हो।
तर्क-ज्ञान की प्राप्ति के लिए सरस्वती देवी का अनुग्रह प्राप्त करना आवश्यक माना गया है। महान् आचार्यों ने भी सरस्वती को सिद्ध किया था। परन्तु प्रभु के मंदिर में जो प्रार्थनाएं की जाती हैं क्या वे चारित्र बल, सदाचार की प्राप्ति के लिए नहीं होती ? क्या सरस्वती की कृपा से चारित्रबल भी प्राप्त हो जाएगा? १६. नाणेण य मुणी होई।
ज्ञान से ही साधु मुनि होता है ।
तर्क-साधु जीवन में ज्ञान, विद्वत्ता, वक्तृत्व आदि तो होना चाहिए। परन्तु मुनित्व, साधुता आदि शब्द मूलतः क्या चारित्र के पर्यायवाची नहीं ? एक मात्र ज्ञानवान् को क्या मुनि शब्द से अलंकृत किया जा सकता है ? २०. चतुः घाति कर्म क्षयेण केवल ज्ञान प्राप्यते।
चार घाती कर्मों के क्षय से केवल ज्ञान प्राप्त होता है।
तर्क-चार घाती कर्मों के क्षय से केवल ज्ञान ही प्राप्त होता है ? केवल चारित्र नहीं ? २१. ज्ञातृत्वं द्रष्ट्रत्वं च आत्मनः लक्षणं । .. ज्ञाता तथा द्रष्टा होना आत्मा का लक्षण है।
तर्क-तो कर्ता भोक्ता होना क्या आत्मा का लक्षण नहीं है ? क्या संसारी आत्मा में कर्तृत्व भोक्तृत्व (क्रिया) आदि गुण नहीं होते ? सहज सुख का संवेदन (चारित्र) क्या परमात्मा में नहीं होता?
९।
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