________________
(१२६
योग शास्त्र समझ के आधार पर जीवन का निर्वाह होता था। अतः एव पति-पत्नी का अनुपम प्रेम, मात्र भौतिकता तक ही सीमित नहीं होता था। आध्यात्मिकता की और प्रस्थान करने की एक की इच्छा को अन्य की स्वीकृति मिल ही जाती थी । हमारे स्वर्णिम इतिहास में जम्बू ही एक मात्र ऐसे व्यक्ति नहीं हैं । विजय सेठ एवं विजया सेठानी, जिनदास सेठ एवं जिनदासी श्राविका, वस्तु पाल एवं अनुपम देवी, बज्रबाहु एवं मनोरमा, युगबाहु एवं मदन रेखा, ऐसे सैंकड़ों दृष्टांत अन्विष्ट किए जा सकते हैं ।
वज्रबाहु का दृष्टांत :- पुरातनकाल में पति तथा पत्नी दोनों संसार को त्याग कर चले जाते थे। वज्रबाह तथा मनोरमा ? इन का दृष्टांत अत्यधिक रोमांचकारी है।
युवराज वज्रबाहु मनोरमा के साथ विवाह करके रथ में बैठ कर अपने राज्य की ओर चले जा रहे थे। साथ में मनोरमा का भाई उदय सुन्दर भी था। मार्ग में साला तथा बहनोई का जगद् विख्यात उपहास रंग लाया । रथ में आगे की सीट पर विवाहित युग्म बैठा था। पृष्ठवर्ती भाग में उपविष्ट था-उदय सुन्दर, जो प्रिय भगिनी को विदाई देने जा रहा था । साथ में उस के २५ मित्र भी थे। मार्ग में वज्रबाहु ने एक पर्वत पर एक मुनिराज को ध्यानस्थ खड़े देखा. उन्होंने विचार किया, कि साधु मुनिराज के दर्शन करने चाहिएं। कैसी उत्कट धर्म भावना । नई नवेली दुल्हन हो, उस ने नई-नई लाल चड़ियां तथा कंकण परिहित किया हो, अभी एक दिन भी मध्यम में यापित हुआ हो तब साधु-दर्शन की भावना।
विवाह के पश्चात् मंदिर में परमात्मा के तथा साधु के 'दर्शन करने की प्रथा वर्तमान में भी है, परन्तु उसका उद्देश्य क्या
होता है ? वह तो उस अवसर पर उपाश्रय मन्दिर में जाने वाले ही बेहतर समझते होंगे। संभवतः वे यही आशीर्वाद चाहते हैं
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org