SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 154
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२८] सम्यक् चारित्र भारतीयों का आदर्श जीवन न बचा, नैतिक पतन हुआ तो ... भारत गुलामी की शृखलाओं में जकड़ दिया गया, नहीं तो अंग्रेजों की कोई शक्ति न थी। पतित व्यक्ति स्वयं गुलाम बनने को सुसज्जित हो जाता है । अतः चारित्र की रक्षा करनी ही होगी। नैतिक पतन से भावी प्रजा को सुरक्षित रखना ही होगा। यदि हमारी नैतिक शक्ति जीवित रही तो मानव जाति जीवित रह सकेगी, अन्यथा नैतिकता का प्रलय, मानव जाति का प्रलय होगा। जंबू कुमार का दृष्टांत :-जंब स्वामी के पास ८ सुन्दर पत्नियां तथा १६ करोड़ मुद्राएं थीं। विवाह की प्रथम रात्रि में ही वह उन का त्याग करके तथा ८ पत्नियों को संसार के विषयों की तुच्छता का दर्शन करा के ५२७ व्यक्तियों सहित दीक्षा अंगीकार करता है। श्री जंब स्वामी का वैराग्य कैसा होगा । उनका सूझबूझ से अंगीकृत चारित्र भी कैसा अनुपम होगा। जम्बू 'का नाम लेते ही उन के प्रति सन्मान का भाव आविर्भूत होता है तथा मस्तक श्रद्धावनत हो जाता है। वे पत्नियों को समझाते हैं, कि सांसारिक वासनाओं में सुख नहीं है । सच्चा सुख तो, युग्म में नहीं, एक में है । एकाकी रह कर संयत रहना, चारित्र को धारण करना ही सच्चा सुख प्राप्त करने का सम्यक मार्ग है। जम्ब स्वामी की पत्नियां भी निकट भवी थीं, कि जिन्होंने उन की बात को स्वीकार कर लिया। अन्यथा आज की पत्नियां क्या ऐसे मान सकती हैं ? वर्तमान पत्नियों से ऐसी कोई संभावना नहीं । ___ यदि पति दान की बात करे, तो पत्नी बीच में अवरोध खड़ा करेगी तथा यदि पत्नी कहे कि मुझे तपस्या या व्रत ग्रहण करना है तो पति महोदय शीघ्रता से स्वीकृति प्रदान न करेंगे। कैसा सामञ्जस्य आज के युग में है। पुराकालीन युग में परस्पर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004233
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashobhadravijay
PublisherVijayvallabh Mission
Publication Year
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy