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योग शास्त्र
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( शिकायत ) का नाम सुन कर बच्चे घबराए । इंस्पेक्टर बोला, " एक जहाज बम्बई से उड़ा । उस को दिल्ली जाना है । बम्बई से दिल्ली १४०० किलो मीटर है । जहाज़ की स्पीड़ १००० किलोमीटर प्रति घंटा है, तो बताओ मेरी उम्र क्या हुई ?"
बच्चे तो क्या ? मास्टर भी इस प्रश्न को सुन कर कांप उठा । यह इंस्पेक्टर अपने बुद्धि शौर्य से हमें बदनाम करके रहेगा । जब प्रश्न ही ठीक नहीं, तो उत्तर कैसे ठीक हो सकता है ? यदि इंस्पेक्टर को कुछ कहा तो वह और भी चिढ़ जाएगा । उन में इंस्पेक्टर को कुछ कहने की नैतिक हिम्मत ही न थी ।
सभी विद्यार्थी मानो शोक मग्न होकर चुपचाप बैठे थे । घोर निराशा क्लास में छाई हुई थी। तभी उस चुप्पो को तोड़ते हुए एक विद्यार्थी बोल उठा
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" इंस्पेक्टर साहब ! मैं आप के प्रश्न का उत्तर दे सकता हूं।" सभी चौंक उठे, कि गल्त प्रश्न का गल्त उत्तर दे कर यह विद्यार्थी इंस्पेक्टर का रोष मोल न ले । आखिर उस जहाज़ की गति का इंस्पेक्टर की उम्र के साथ क्या सम्बन्ध हो सकता था ?
बच्चा निर्भीक होकर बोला, " इंस्पेक्टर साहब ! मेरा बड़ा भाई आधा पागल है, वह २० वर्ष का है, इस का सीधा-सीधा अर्थ यह हुआ, कि आप की उम्र ४० वर्ष है ।
और वास्तव में अपने प्रश्न का सही उत्तर पाने के बाद इंस्पेक्टर चमत्कृत हुआ । तथा बोल उठा "वाह बच्चे ! तुम ने बिल्कुल सही उत्तर दिया । मेरी उम्र ४० वर्ष की ही हैं ।" सारी क्लास की सांस में सांस आ गई ।
पाठको ! कुतर्क का उत्तर और क्या हो सकता था । तर्क सर्वत्र सफल नहीं होता, अतः भगवान् की वाणी पर प्रमुख रूप से श्रद्धा होनी चाहिए। उस श्रद्धा की दृढ़ता के लिए तर्क होना आवश्यक हैं ।
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