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ज्ञान : श्रेयस् का योग अड़ा रहा तथा उस ने आँखें ठीक न करवाई।
एक बार घर में आग लगी, आग ने उग्र रूप धारण कर . लिया। समस्त परिवार को अपने प्राणों की सुरक्षा का ही विचार आया। सभी अपना-अपना माल तथा अपने प्राण ले कर वहां से भाग खड़े हुए । वृद्ध व्यक्ति चिल्लाता रहा, 'मुझे बचाओ-मुझे बचाओ।' परन्तु उसकी ३४ आँखें इस समय बिल्कुल निरर्थक थीं क्योंकि वे परकीय थीं, पराई थीं। यदि वह वृद्ध अपनी आँखें बनवा लेता, तो अवश्य ही उस ज्वलंत अग्नि से बच जाता। वह बूढ़ा अग्नि की भेंट हो गया। ___इसी प्रकार दूसरों के ज्ञान से आत्मा की मुक्ति चाहने वाले मुक्त नहीं हो सकते । जो स्वयं अपने ज्ञान के नेत्र को प्रकट करते हैं, वे ही अज्ञान अन्धकार की अटवी से पार हो जाते हैं। ___ शास्त्रों से ज्ञान प्राप्त होता है । शब्दों से ज्ञान प्राप्त होता है । शब्द तथा शास्त्र की अवज्ञा और अवहेलना से ज्ञानावरणीय कर्म का बंध होता है। अतः एव सदैव अपनी वाणी को भी सुशब्दों में व्यक्त करना चाहिए । ज्ञानी के साथ ज्ञान की बात करनी चाहिए । मूर्ख व्यक्ति के साथ बात करने से ज्ञान का विनास होता है। किसी कवि ने कहा है
ज्ञानी से ज्ञानी मिले, करे बात से बात ।
मूर्ख से मूर्ख मिले, करे लात से बात ॥ मूर्ख व्यक्ति दूसरों से अपनी बात मनवाने के लिए कई बार विवाद करता है। गुरु नानक ने कहा था
एक ने कही, दूसरे ने मानी। . नानक कहे, दोनों ज्ञानी॥ दूसरे व्यक्ति की बात को काटने की आवश्यकता नहीं है, समझने की आवश्यकता है।
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