SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 107
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [८१ योग शास्त्र हैं । परन्तु गृहस्थ प्रायः संस्कृत-प्राकृत का अध्ययन नहीं कर पाते । अतः वे इन सूत्रों का कभी-कभी अर्थ पारायण करते हैं, परन्तु प्राकृत भाषा के ज्ञान के अभाव में यह अर्थ उन की बुद्धि में निश्चित नहीं होता । अर्थ की विस्मति हो जाती है। अतः संस्कृत प्राकृत भाषाओं की ओर विशेष लक्ष्य देने की आवश्यकता है। * हथौड़ा मारने का मूल्य दस हजार * .. एक व्यक्ति ने एक मशीन खरीदी। उस मशीन पर बनने वाले माल का निर्यात होता था। मशीन कीमती थी। एक बार वह मशीन खराब हो गई । उत्पादन रुक गया। सेठ ने मकैनिक को बुलाया। मकैनिक ने उस मशीन को चारों ओर से देखा । पूर्जा-पूर्जा खोल कर देखा। काफी छानबीन के बाद भी उसे मशीन के दोष का पता न चल सका । मकैनिक की बुद्धि चकरा गई। सेठ ने दूसरे मकैनिक को बुलाया, परन्तु वह भी फेल । अनेक मकैनिक आए तथा चले गए। सेठ ने लगभग २० हजार रुपया खर्च कर दिया। परन्तु मशीन ठीक न हुई । सेठ निराश हो गया। सेठ ने न्यूज़ पेपर में विज्ञापन दिया। एक कुशल मकैनिक वहां पहुंचा । सेठ ने कहा, “यहां तुम्हारे जैसे कई इंजीनियर फेल हो गए । क्या तुम यह कार्य कर सकोगे ? .. “गारण्टेड !" अवश्य ही मैं यह काम कर दूंगा। परन्तु सेठ जी ! इस कार्य के लिए आप को १० हजार रुपये देने होंगे। सेठ को उस का Rate अधिक लगा । परन्तु फिर भी उसकी शर्त को स्वीकार दिया। ____मकैनिक ने मशीन को चारों तरफ से देखना प्रारम्भ किया। उस ने विचार किया, कि बड़े-बड़े मकैनिकस ने मशीन को देखा है। लगता है, दोष कोई सामान्य होना चाहिए। वह ४-५ घंटे तक मशीन को देखता रहा। Jain Education International . For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004233
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashobhadravijay
PublisherVijayvallabh Mission
Publication Year
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy