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ज्ञान : श्रेयस का योग ज्ञानी २ - ३ सैकण्ड में बहुत कर्मों का क्षय कर देता है, जबकि अज्ञानी कोड़ों वर्षो तक तपस्या करता है, चरित्र का पालन करता है, परन्तु फिर भी उतने कर्मों का क्षय नहीं कर पाता है । ज्ञानी में विपत्तियों को सहन करने की विशेष योग्यता होती है । वह प्रत्येक विपत्तिको कर्म का विपाक मानता है तथा उस समय राग-द्वेष नहीं करता । परिणामतः नवीन कर्मों का बंध नहीं होता । निर्जरा तथा संवर का मार्ग उस के लिए प्रशस्त हो जाता है ।
एक विद्वान् था । उससे किसी ने पूछा, कि तुम इतने विद्वान् कैसे बने ? विद्वान ने उत्तर दिया, कि मैंने आज तक कोई ग्रन्थ नहीं पढ़ा, परन्तु लोग मुझे फिर भी विद्वान् कहते हैं । मैंने ६ • व्यक्तियों को अपना गुरु बनाया है । मेरा ज्ञान उन ६ व्यक्तियों की कृपा का फल है । वे ६ व्यक्ति हैं
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What & why, How & who, when & where. हैन आश्चर्य ! क्या ये शब्द गुरु हो सकते हैं ? बिलकुल हो सकते हैं ।
जब कोई बात चलती है, तो पहले पूछना चाहिए, what ( क्या ) ? चुपचाप सुनने से कई बार बात का ज्ञान नहीं होता । प्रश्न पूछने से पहले कई बार व्यक्ति अपनी प्रतिष्ठा के कारण हिचकिचाता है, झिझकता है। बिना लज्जा के जो व्यक्ति प्रश्न प्रारम्भ कर देता है, उसे ज्ञान प्राप्त होना प्रारम्भ हो जाता है । शर्म करने वाला, अज्ञानता को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाने वाला, यहीं पर अयोग्य प्रमाणित हो जाता है । पृच्छा के द्वारा अभिमान पर चोट लगती है तथा वह चूर-चूर हो जाता है ।
Why ( क्यों ) - इस why में तर्क शास्त्र का सार छिपा है। यह क्यों हुआ ? यह प्रश्न करते ही समस्त विषय, तर्क -युक्त रीति से आप के सन्मुख उपस्थित हो जायेगा । मानव तर्क के
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