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प्रमाणैकदेशता। प्रमाण का एकदेश न तो प्रमाण ही है; क्योंकि वह प्रमाण से सर्वथा अभिन्न नहीं है और न अप्रमाण ही है; क्योंकि प्रमाण का एकदेश प्रमाण से सर्वथा भिन्न भी नहीं है। देश और देशी में कथंचित् भेद माना गया है।'
नय न प्रमाण है और न अप्रमाण, किन्तु प्रमाण का एकदेश या अंश है। सिन्धु का बिन्दु न सिन्धु है और न असिन्धु अपितु सिन्धु का एक अंश है। एक सैनिक को सेना नहीं कह सकते, परन्तु उसे असेना भी तो नहीं कह सकते; क्योंकि वह सेना का एक अंश तो है ही। इसप्रकार अखण्ड वस्तु के निश्चय की अपेक्षा नय प्रमाण नहीं है। वह वस्तु खण्ड को यथार्थ रूप से ग्रहण करता है, इसलिए अप्रमाण भी नहीं है। अप्रमाण तो है ही नहीं, पूर्णता की अपेक्षा प्रमाण भी नहीं है। इसलिए इसे प्रमाणांश या प्रमाण का एकदेश कहना चाहिए।
___ 'प्रमाण नय नहीं है और न ही नय प्रमाण है' इस विषय का विवेचन आचार्य वीरसेन स्वामी ने भी किया है
_ 'प्रमाण ही नय है, ऐसा कितने ही आचार्य कहते हैं, किन्तु उनका यह कथन ठीक नहीं है; क्योंकि ऐसा मानने पर नयों के अभाव का प्रसंग आता है। यदि कहा जाए कि नयों को अभाव हो जाए, सो भी ठीक नहीं है; क्योंकि ऐसा होने पर देखे जाने वाले एकान्त व्यवहार के लोप होने का प्रसंग आ जाएगा।
दूसरे, प्रमाण नय नहीं है; क्योंकि प्रमाण का विषय अनेकान्त या अनेकधर्मात्मक वस्तु है और न नय प्रमाण है; क्योंकि नय का विषय एकान्त है। प्रमाण का विषय एकान्त नहीं है' क्योंकि एकान्त नीरूप होने से अवस्तु है और जो अवस्तु है वह ज्ञान का विषय नहीं होता। इसी तरह नय का विषय अनेकान्त नहीं है; क्योंकि नय दृष्टि में अनेकान्त अवस्तु है और अवस्तु में वस्तु का आरोप हो नहीं सकता।187
प्रमाण और नय के इस भेद का विवेचन 'जयधवला' टीका में भी बड़े तर्क सम्मत ढंग से किया गया है'. 'प्रमाण के द्वारा ग्रहण किये गये पदार्थ के एक देश में वस्तु का जो अध्यवसाय होता है वह ज्ञान प्रमाण नहीं है; क्योंकि वस्तु के एक अंश को प्रधान करके वस्तु का जो अध्यवसाय होता है वह वस्तु के एक अंश को अप्रधान करके होता है। इसलिए ऐसे अध्यवसाय को प्रमाण मानने में विरोध आता है। दूसरे, नय भी प्रमाण नहीं है; क्योंकि नय के द्वारा जो वस्तु का अध्यवसाय होता है वह प्रमाण व्यपाश्रय है अर्थात् नय प्रमाण के द्वारा गृहीत वस्तु के एक अंश में ही प्रवृत्ति करता है, अत: उसे प्रमाण मानने में विरोध आता है तथा 'सकलादेश प्रमाण के अधीन है और विकलादेश नय के अधीन है' इस प्रकार दोनों के कार्य भिन्न-भिन्न दिखायी
तत्त्वाधिगम के उपाय :: 131
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