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________________ छठ्ठा उद्धार उसके पश्चात् एक करोड लान सागरोपम व्यतीत होने पर भवनपति के असुर कुमार निकाय के इन्द्र चमरेन्द्र ने कराया। सातवाँउद्धार : इस अवसर्पिणी काल के चोथे आरे के ५० लाख करोड सागरोपम व्यतीत होने के बाद दूसरे तीर्थंकर भगवान अजितनाथ हुए । उनके सांसारिक बंधु सगर संपूर्ण भरतखंड के चक्रवर्ती थे । परमात्मा के उपदेश से सगरचक्रवर्तीने उद्धार करवाया। आठवाँ उद्धार: श्री अभिनन्दन भगवान के शासन में व्यन्तरेन्द्रने करवाया। नौवाँउद्धार: श्री चंद्रप्रभ स्वामी के शासन में मुनिवर श्री चंद्रशेखर के उपदेश से पुत्र राजा चंद्रयशा ने कराया। दसवाँउद्धार: श्री शान्तिनाथ भगवान के पुत्र चक्रायुधने कराया। ग्यारहवाँ उद्धार: ११ लाख वर्ष पूर्व भगवान मुनिसुव्रत स्वामी के शासन काल में रामायण के वीर अयोध्या के बलदेव श्री रामचंद्रजी तथा तीन खंड के मालिक वासुदेवश्री लक्ष्मणजी ने उद्धार करवाया । श्री रामचंद्रजी एवं भरतजी तीन करोड आत्माओं के साथ शत्रुजय तीर्थ पर मोक्ष में - गये। बारहवाँउद्धार: ८७ हजार वर्ष पूर्व २२वे तीर्थंकर श्री नेमिनाथ के शासनकालमें पांचपांडवोंने उद्धार करवाया । आसोज सूद १५ को "सिद्धाचल गिरि नमो नमः * विमलाचल गिरि नमो नमः” 500 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrara.
SR No.004225
Book TitleChari Palak Padyatra Sangh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajhans Group of Industries
PublisherRajhans Group of Industries
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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