SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 31
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (७) संभवनाथ भगवान का मन्दिर । (८) श्री पार्श्वनाथ भगवान का मन्दिर। (९) श्री चन्द्रप्रभ का मन्दिर। (१०) श्री संभवनाथ भगवान का मन्दिर । (११) श्री अजितनाथ भगवान का मन्दिर । (१२) श्री पार्श्वनाथ प्रभु का मन्दिर । (१३) श्री ऋषभदेव भगवान का मन्दिर । (१४) श्री धर्मनाथ भगवान का मन्दिर । (१५) श्री महावीर . स्वामीजी का मन्दिर । (१६) एक सौ स्तंभ युक्त चौमुखजी का मन्दिर । जिसका जोधपुर वाले मनोतमल्ल जयमल्लजी ने वि.स.१६८६ में निर्माण करवाया था । (१७) प.पु.आ.श्री धनेश्वरसूरीश्वरजी म.सा. (१८) श्री श्रेयांसनाथ का मन्दिर (१९) श्री संभवनाथ प्रभु का मन्दिर । (२०) श्री ऋषभदेव का मन्दिर कपडवंज वाली माणेक सेठानी द्वारा निर्मित किया गया है।"नमो जिणाणं" । चेतन ! कुमारपाल मन्दिर के सामने वृक्ष के नीचे एक पोलरक्षक (पोलिया) है। ___पालीताना में एक भावसार परिवार था, जिसमें दो भाई थे । बडा भाई विवाहित था और छोटा भाई विक्रमशी अविवाहित था । एक दिन वीर विक्रमशी कपड़े आदि धोकर घर आया, तब भोजन नहीं बन पाया था तब वह अपनी भाभी पर क्रोधित हुआ कि क्या किया इतनी देर तक ? क्या आप से भोजन भी नहीं पकाया जाता ? आदि बातें कहीं । इस पर भाभी ने व्यंग कसा कि "मुझ पर क्यों जोर बता रहे हो ? यदि शक्ति हो, तो शत्रुजय पर बाघिण के कारण यात्रा बंद हो गई है उसे प्रारंभ करा दो। Jain Education international सिद्धाचल गिरि नमो नमः * विमलाचल गिरि नमो नमः” 29 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004225
Book TitleChari Palak Padyatra Sangh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajhans Group of Industries
PublisherRajhans Group of Industries
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy