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________________ (५) वि. संवत् १८१५ में निर्मित सहस्रफणा पार्श्वनाथ का मन्दिर । (६) नलिन मनोहर देहरी । (७) धर्मनाथजी का मन्दिर । (८) चंद्रप्रभजी का मन्दिर । (९) पार्श्वनाथजी का मन्दिर । (१०) सुमतिनाथजी (मुर्शिदाबाद के जगत सेठ) का मन्दिर । (११) शान्तिनाथजी का मन्दिर । (१२) सहस्रफणा पार्श्वनाथ का मन्दिर। (१३) कुमारपाल का मन्दिर। चेतन ! कुमारपाल के मन्दिर के समीप से हाथीपोल के बाहर अपने बायीं ओर छोटी गली जैसा एक मार्ग सूरज कुण्ड की ओर जाता है। चेतन ! सूरज कुण्ड की दीवार पर पाषाण का मूर्गा व चंद्रराजा का पुतला बनाया हुआ है । उसके समीप में ही भीम कुण्ड ब्रह्माकुण्ड और ईश्वर कुण्ड भी है । अब चारों कुण्डों में से स्नानागार में पानी आता है। ___ (१) चेतन ! बाघनपोल में दाई ओर तीर्थ रक्ष कवडयक्ष है । प्रणाम कहना । शान्तिनाथजी के सामने मार्ग की दाहिनी ओर केशवजीनायक की ट्रॅक है । तत् पश्चात् विशेषावश्यक भाष्य ग्रन्थ के अनुसार निर्मित समवसरण, समेत शिखर, मेरु शिखर एवं अष्टापद वाला पंचतीर्थी मन्दिर वि.संवत १९२८ में पुण्डरीकजी का मन्दिर नरसी केशवजी द्वारा निर्मित है । इसमें ६८ देहरियाँ हैं । इसको दसवी ढूंक भी कहते हैं । "नमो जिणाणं" कहकर हम आगे बढ़ें। (२) पद्मप्रभजी का मन्दिर। (३) कवड यक्ष की देहरी । (४) समवसरण युक्त महावीर स्वामी का मन्दिर । (५) अमीझरा पार्श्वनाथ श्याम प्रतिमा का भव्य मन्दिर वि.सं. १७९१ में भंडारी रत्नसिंहजी ने निर्माण करवाया था। (६) चन्द्रप्रभुजी का मन्दिर Jain Education international “सिद्धाचल गिरि नमो नमः विमलाचल गिरि नमो नमः” 28 www.jainelibrary.org
SR No.004225
Book TitleChari Palak Padyatra Sangh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajhans Group of Industries
PublisherRajhans Group of Industries
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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