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तेजपाल सोनी ने एक लाक रुपये खर्च कर श्री शत्रुंजय का शिखर करवाया था । • भरत चक्रवर्ति ने 1 कोश उंचा 3 कोश लंबा जिनमंदिर शत्रुंजय पर बनवाया था, जिसमें 84 मंडप थे ।
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शत्रुंजय की महिमा
वाग्भट्ट मंत्रीने दो करोड़ 17 लाख रुपये खर्च कर श्री शत्रुंजय तीर्थ का जीर्णोद्धार करवाया था (900 वर्ष पूर्व)
सिद्धगिरिराज की पांच फूट ढंक-कदंबक-लौहित्य-तालध्वज- -कपर्दि 1 वस्तुपाल-तेजपाल ने 18 करोड 96 लाख द्रव्य व्यय कर जीर्णोद्धार करवाया। 22 तीर्थंकरो की प्रमाणवाली चरणपादुका शत्रुंजय तीर्थ में थी । शत्रुंजय तीर्थ पर एक उपवास करने से 30 उपवास का लाभ मिलता है । आयंबिल से 15 उपवास
संघवी धरणा शाह संघ लेकर आये तब 52 संघ आये थे । संघपति चादा | शाह ने 24 तीर्थंकरो के पट करवाये । संघवी देशलने 14 संघ निकाले थे विक्रमराजा के वक्त 84 हजार संघपतियों ने शत्रुंजय के संघ निकाले थे । वस्तुपाल-तेजपाल ने सिद्धगिरिराज के 12 संघ निकाले व दो हजार दौ सो जिनमंदिर बनवाये थे ।
तीन करोड सोने चांदी के पुष्पों से आभु संघवीने गिरिराज को बधाया था । गुणराज संघवी के संघ में दो लाख व्यक्ति थे ।
वस्तुपाल के संघ में 7 लाख यात्रिक थे। 24 बिरुद थे
सांचोर के सावंत श्रावक ने 9 लाख द्रव्य खर्च कर शत्रुंजय का संघ निकाला
था ।
सुरा एवं रत्ना श्रावक ने श्री शत्रुंजय महातीर्थ के 18 संघ निकाले थे ।
11 लाख खर्च कर जावडशाह ने शत्रुंजय का संघ निकाला था । वस्तुपालतेजपाल के संघ में 24 उंचे जिनमंदिर थे ।
अनुपमा देवी ने 32 लाख मूल्य के आभूषण परमात्मा को पहनायें थे । शत्रुंजयगिरि तलेटी में 32 वाडी बनाई थी ।
नमिविद्याधर की 64 पुत्रियाँ मोक्ष में गई । 17 करोड मुनियों के साथ अजितसेन मुनि मोक्ष में गये ।
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" सिद्धाचल गिरि नमो नमः * विमलाचल गिरिं नमो नमः” 134
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