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________________ • इस तीर्थ का ध्यान करने से - १००० पल्योपम • इस तीर्थं में अभिग्रह धारने से - लाख पल्योपम • इस तीर्थ की ओर चलने से एक सागरोपम जितने कर्म नष्ट होते है। - • इस तीर्थ पर नवकारशी करने से दो उपवास का लाभ - • पोरसी करने से - तीन उपवास का लाभ • एकासणा करने से - पांच उपवास का लाभ • आयंबिल करने से पंद्रह उपवास का लाभ • उपवास करने से - तीस उपवास का लाभ (शत्रुंजय कल्पवृत्ति) (शत्रुंजय कल्पवृत्ति) • इस तीर्थ पर धूप करने से १५ उपवास का लाभ और कपूर का धूप करने से - मासखमण का लाभ होता है। (शत्रुंजय कल्पवृत्ति) • शत्रुंजय तीर्थ के दर्शन-पूजन से - ३० उपवास का लाभ • तलहटी में एक प्रहर जागरण करने से छ महिने के उपवास का लाभ • शत्रुंजय तीर्थ को सातबार वंदन करने से तीसरे भव में मोक्ष • चैत्री पूर्णिमा के दिन १०, २०, ३०, ४० और ५० पुष्पों की मालाए चढाने से क्रम के अनुसार १, २, ३, ४, ५ उपवास का लाभ होता है । • सुबह में जागरण के साथ ही शत्रुंजय की स्तुति करने से सभी पापों का नाश होता है। . • अन्य तीर्थों की हजारों यात्राएँ करने से जितना पुण्य मिलता है उतना पुण्य इस तीर्थ की यात्रा करने से मिलता है। (उपदेश-प्रसाद) • भरत चक्रवर्ती के जीर्णोद्धार कराने के बाद १० लाख खेचरोंने एसा अभिग्रह किया, कि हम हर हंमेश यहां जिन पूजा करेंगे। (पुंडरीक चरित्र) • देवदत्त जब पुंडरीक गणधर के हाथों से संयम लेता है उस समय उनके साथ १०,००० जैन श्रावक भी संयम लेते हैं। • भरत चक्रीने शत्रुंजय की तलहटी में २२ योजन विस्तारवाले ५ करोड घर बनाकर नगर बनाया था उसमें २५ लाख जिनालय ५ लाख पौषधशाला और ५ करोड ब्राह्मण को श्रावक बनाये थे । (पुंडरीक-चरित्र) • पार्श्वनाथ भ. के भाई हस्तिसेनने संघ निकाला उस समय रायण वृक्ष से दूध निकला था । • ५०० वर्ष पहले देवमंगल गणिने चंदन तलावडी पास अट्ठम किया था उस समय कपर्दि यक्षने आदिनाथ की रत्नमय प्रतिमा बताई थी इससे तीसरे भव में मोक्ष प्राप्त हुआ। Jain Education Internat" सिद्धाचल गिरि नमो नमः विमलाचल गिरि नमो नमः" 135 www.aineltural org
SR No.004225
Book TitleChari Palak Padyatra Sangh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajhans Group of Industries
PublisherRajhans Group of Industries
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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