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सुखदाई रे सुखदाई रे, हो दादो पासजी सुखदाई । ऐसो साहिब नहि कोउ जगमें, सेवा कीजे दिल लाई.
हो दादो० १
सब सुखदायक ऐहिज नायक, ऐहि सायक सुसहाई । किंकरकुं करे शंकर सरीसो, आपे अपनी ठकुराई.
हो दादो० २
मंगल रंग वधे प्रभु ध्याने, पापवेली जाऐ करमाई । शीतलता प्रगटे घट अंतर, मीटे मोहकी गरमाई.
हो दादो०३
कहाँ कहें सुरतरु चिंतामणिकुं, जो में प्रभु सेवा पाई । श्री जसविजय कहे दर्शन देख्यो, घरआंगन नव निधिआई.
हो दादो० ४
Ainternational "सिद्धाचल गिरि नमो नमः * विमलाचल गिरि नमो नमः' 98 dainelibraron