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________________ विषय.......... --- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - विषयानका म........... 006 ७७VVV ...८४ ०० पष्ठ विषय........................१४ - - - - - - -- १) एक भव्य आत्मा की आत्मव्यथा......................" १५) हरिश्चन्द्र को मकान में क्यों रहना पड़ा?....७३ २) भविष्य की मनोव्यथा १६) आलोचना न लेने में दुमबी बने श्रीपाल नाजा.७५ ३) गुरुदेवश्री का आश्वासन ..........................१० १७) चोरी की मजा और देवकी माता .............७६ ४) आलोचना का महत्त्व १८)टंटण कुमान और अंजनाय. ५) आलोचना का प्रायश्चित किसे दिया जाये?........१४ १९) द्रौपदी को पांच पति मिले. ६) आलोचना सब को करनी चाहिए.................. २०) ईर्ष्या की आलोचना न ली ७) आज भी प्रायश्चित विधि है........................ २१) अंजना मुंली दुःमवी क्यों हुई?............... ८) आलोचना देने वाले गुरु कौन होते हैं?............. २२) नाणी कुंतला ..... ............... ९) आलोचना के बिना मुनझाये हुए फुल........... २३) भगवान महावीनस्वामी के जीव ने १) रुक्मिणी का दृष्टांत... प्रायश्चित न लिया तो... २) ओक कृषक ने जूं मानी.........................२६ २४) हरिकेकीबल उत्पन्न हुए चंडाल कुल में......८४ ३) सज्जा माध्वी ने मचित्त पानी पीया...........२७ २४) कलावती की कलाईयां छेद दी गई.............८६ 1) मीचि का दृष्टांत .... २६) अंडे लिये हाथ में .............................८७ ५) आईकुमार का दृष्टांत................... २७) देवानंदा के गर्भ का अपहरण क्यों हुआ?.....८८ ६) मेतानज मुनि का दृष्टांत.... २८) ज्ञान की विराधना की आलोचना नहीं ली ....८८ ७) चित्रक और भभूति का दृष्टांत ................३८ २९) देवद्रव्य की आलोचना न ली ..................८९ ८) इलाचीपुत्र का दृष्टांत .........................४१ 90) आलोचना में बने चमकते मिताने ९) कमलश्री का दृष्टांत .......................... १) कामलक्ष्मी का दृष्टांत... १०)रूपमेन और सुनंदा का दृष्टांत ............. २) पुष्पचूला का दृष्टांत .......... 99) क्रोध की आलोचना ३) नमो नमो प्रबंधक महामुनि.. नलेने से हुआ नुकसान.... 1) अमणिक कुमार का दृष्टांत. १२) लक्ष्मणा माध्वीजी का दृष्टांत ..........५३ ____११) प्रायश्चित की ताकत .... १३) एक थी राजकुमारी... ...५४ १२) प्रश्नोत्तर.... 3) निर्दोष भीताजी पर कलंक क्यों आया?......६९ १३) आलोचना कैसे लिमखनी चाहिये? natoreseron..१०० .. ............... मानात leder ...........१४ Ranislai ooljapers) ............. www.jainelibrary.org
SR No.004221
Book TitlePaschattap
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, C000, & C020
File Size18 MB
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