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________________ कहीं मुरझा न जाए...58 एक दिन राजकुमार ने तापस से क्षणभर में अदृश्य होने वाली लड़की के बारे में पूछा। तब तापस ने यह सोचा कि यह मेरी पुत्री को चाहता है, इसलिए तापस ने उसका सारा पूर्व वृतांत विस्तार से बताया, जिसे सुनकर राजकुमार के रोम-रोम में खुशी की लहर छा गई। तापस ने भी योग्य जानकर अपनी पुत्री ऋषिदत्ता की शादी कनकरथ राजकुमार के साथ कर दी। शादी के बाद कनकरथ का मन शांत हो गया। इसलिये उसने दूसरी शादी करने का विचार छोड़ दिया। वहाँ से वापस लौटकर वह अपने नगर की ओर चला और धूमधाम से नगर प्रवेश किया। जब रूक्मिणी को पता चला कि कनकरथ बीच में से ही अन्य के साथ शादी करके वापिस चला गया है, तब वह चिंता से आकुल व्याकुल हो गई और नागिन की तरह बदला लेने के लिये तैयार हो गयी, किसी भी तरह मैं कनकरथ को ऋषिदत्ता से विमुख कर दूंगी, जिससे कनकरथ राजकुमार मेरे साथ शादी करने के लिये तैयार हो जायेंगे, कैसा है वासना का तूफान? जिससे दूसरे इंसान को नुकसान पहुंचाकर भी खुद के मनसूबे को पूरा करना । यह कैसी मैली मुराद है? मानव का अहंभाव... एक दिन सुलसा नाम की एक तापस रूक्मिणी के पास आई। उसने उससे चिंता का कारण पूछा। तब रूक्मिणी ने अपने दिल की सारी गूढ बात कह सुनाई, जिसे सुनकर सुलसा अहंभाव में आई और उसने कहा कि चिंता मत कर । मैं प्रतिज्ञा करती हैं कि मैं तेरा कार्य अवश्य कर दूंगी। ___ सुलसा रथमर्दन पहुँच गई। ऋषिदत्ता को देखते ही वह हतोत्साह हो गई। अरर ! ऐसी गुणवती पत्नी पाकर दूसरी की चाह कौन करेगा? अमृत पाकर विष पाने की चाहना कोई करता है क्या ? राजकुमार ने सही निर्णय लिया है, परन्तु मैंने तो रूक्मिणी के पास प्रतिज्ञा की है कि मैं तेरा यह काम अवश्य करूँगी। यह प्रतिज्ञा निष्फल कैसे हो सकती है? मैं किसी तरह से इस ऋषिदत्ता को बर्बाद करूँगी। मानव का अहंत्व कैसा भयंकर है? जिसके फलस्वरूप वह दूसरे का विनाश सोचता है। 15 EEEEEEE
SR No.004221
Book TitlePaschattap
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, C000, & C020
File Size18 MB
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