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________________ नाम Aamimihitimes : प. पू. द्विशताधिक दीक्षादानेश्वरी आचार्यदेव श्री गुणरत्नसूरीश्वरजी म. सा. ': सं. १९८९, पोष सुद ४, सन् १९३२, पादरली (राज.)। दीक्षा : सं. २०१०, माघ सुद ४, सन् १९५४, मुंबई गुरुनाम प. पू. सिद्धांत महोदधि आ. प्रेमसूरीश्वरजी म. सा. के पट्टालंकार प. पू. वर्धमान तपोनिधि। भुवनभानुसूरीश्वरजी म. सा. के सुशिष्य मेवाड़ देशोद्धारक प. पू. जितेन्द्रसूरीश्वरजी म. सा. गणि पदवी : सं. २०४१, मृगशीर्ष सुद ११, सन् १९८५, अहमदाबाद पंन्यास पदवी : सं. २०४४, फाल्गुन सुद २, सन् १९८८, जालोर (राज.) आचार्य पदवी : सं. २०४४, ज्येष्ठ सुद १०, सन् १९८८, पादरली (राज.)। भाषा : गुजराती, हिन्दी, मराठी, अंग्रेजी, राजस्थानी, संस्कृत, प्राकृत साहित्य रचना : क्षपक श्रेणी, उपशमना-करण, आदि ६० हजार श्लोक प्रमाण संस्कृत-प्राकृत ग्रंथ और गुजराती, हिन्दी तथा अंग्रेजी में चलो सिद्धगिरि चले, कहीं मुरझा न जाए (सचित्र), जैन रामायण आदि ज्ञानाभ्यास न्याय, व्याकरण, काव्य, कर्म-साहित्य, आगम आदि अनेक शास्त्र। लेखक का परिचय... विशेषताएँ १) २१ साल की युवावय में सगाई छोड़कर दीक्षा ली। ७) शंखेश्वर महातीर्थ में ऐतिहासिक ४७०० अट्ठम। २) जिरावला तीर्थ में ३२०० आराधकों की सामूहिक चैत्री ओली का रिकोर्ड। ८) सरत सामहिक दीक्षा में ५१०००. पालिताणा में ५२००० और ३) २७०० यात्रिकों का मालगाँव (राज.) से पालिताणा, ६००० यात्रिकों का अहमदाबाद में ५५०० युवानों की समूह सामायिक। राणकपुर का और ४००० यात्रिकों का पालितणा से गिरनार का ९)क्षपकश्रेणी ग्रंथ के सर्जनहार, जिस ग्रंथ की जर्मन प्रोफेसर क्लाऊज बन ऐतिहासिक छःरी पालक संघ। ने प्रशंसा की है। ४) २८ युवक-युवतिओं की सुरत में, ३८ युवक-युवतिओं की पालिताणा में १०) ५१ आध्यात्मिक ज्ञान शिविरों के सफल प्रवचनकार। सामूहिक दीक्षाएँ और साथ में कुल २४४ दीक्षा दानेश्वरी। ११) ८१ शिष्य-प्रशिष्यों के तारणहार और २०१ साध्वीओं के गणनायक। भेरुतारक तीर्थ के प्रेरणादाता, जिसकी प्रतिष्ठा में ७०० साधु-साध्वी १२) नाकोडा ट्रस्ट द्वारा संचालित निःशुल्क विश्वप्रकाश पत्राचार पाठ्यक्रम भगवंतो की उपस्थिति और चैत्री ओली में २७४ भाई-बहनों ने यावज्जीव के द्वारा १ लाख विद्यार्थीओं के जीवन में ज्ञान का प्रकाश फैलाया। चोथे व्रत को स्वीकार किया। १३) सिद्धवड पटांगण (आदपुर, घेटीपाग) में श्री सिद्धगिरिराज की ६) जिरावला तीर्थ के भव्य जीर्णोद्धार में सामूहिक मार्गदर्शक, श्री वरमाण- ऐतिहासिक नवाणु-यात्रा में २२०० थात्रिकों का रिकार्ड। तीर्थजीर्णोद्धार के मार्गदर्शक। १४) ४१ छरी पालक संघ के निश्रादाता। Jain Education International For Persona l Dad only wwwwww jainelibrary.org
SR No.004221
Book TitlePaschattap
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, C000, & C020
File Size18 MB
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