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________________ LEARN FROM PAST, LIVE IN PRESENT AND PLAN THE FUTURE. भूतकाल की भूलों से सीखो... वर्तमान में जीओ और भविष्य की प्लानिंग (योजना) इस प्रकार बनाओ कि जिससे उन भूलों न हो पाए। भूल इंसान से ही होती है, परंतु वह अपनी भूलों का इकरार कर सद्गुरु के पास प्रायश्चित ले लेता है, तो वह इंसान पूजनीय व परमात्मा बन जाता है। इस पुस्तक की विशेषता धन्य है जिनशासन। जिसमें पापीओं के पाप को धोनेवाले प्रायश्चित का उत्तम विधान है। क्या गंगा मैली तो मैली ही रहेगी? नहीं। नही... प्रक्रिया करोगे, तो वह शुद्ध, स्वच्छ और निर्मल बन जायेगी। प्रायश्चित में वह अपूर्वं शक्ति है, कि उसके बल पर आत्मा संपूर्ण निर्मल बन सकती है। पाप को नहीं छुपाना हो तो... जाईये, जल्दी गुरुदेवश्री के पास और प्रायश्चित लेकर शुब्द बन जाईये। उत्तम जीवन की नींव को निर्मल बनाने के लिए हृदय में पाप का भय उत्पन्न करना चाहिए, पहले पाप का भय उत्पन्न होगा, तभी पाप के प्रति धिक्कार खड़ा होगा, यदि धिक्कार खड़ा होगा, तो प्रायश्चित के द्वारा शुद्ध बनने की इच्छा उत्पन्न होगी। TO TELL A LIE IS BAD, BUT TO TELL A LIE AND HIDE IT IS WORST. झूठ बोलना, वह बुरी बात है, लेकिन झूठ बोलकर छुपाना, वह बहुत बुरी बात है। Jain Education Interational For Personal & Private Use Only www.jainelibrarysnet
SR No.004221
Book TitlePaschattap
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, C000, & C020
File Size18 MB
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