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________________ naNE रखवणराढा आगराग मारवटा 31SPE खवग-सेढी प्राकृत, संस्कृत अनशन को सिद्धवट हो हिन्दी, गुज., अंग्रेजी = ३०/ बंधनकरण संस्कृत = १००/ उपशमनाकरण प्राकृत, संस्कृत = १००/ चित्रमय तत्वज्ञान अल्बमा हिन्द, गुज, = ५०/ ६ वर्ष के अल्प पर्याय में पूज्यश्री द्वारा लिखित २०,००० श्लोक प्रमा, प्राकृत-संस्कृत भाषा में क्षश्रेणि का विश्लेषण करता अलोकिक महाग्रंथ है। बीन पुनिवर्सिटी के प्रोफेसर क्लाऊझ वन ने भी इसकी खुब प्रशंसा की है। रंगीन प्रासंगिक फोटो सहित ६ गाउ की भावयात्रा और साडे आठ करोड़ मुनियों के साथ मोक्ष प्राप्त करनेवाले शांब व प्रद्युम्न का विस्तृत चरित्र है। इस ग्रंथ पर पूज्यश्री ने १५,००० श्लोक प्रमाण संस्कृत टीका लिखी है। इसमें सत्पदादि द्वार से आठ कर्मों के बन्ध की मार्मिक जानकारी है। १५,००० लोक प्रमाण प्राकृत संस्कृत भाषा में उपशम श्रेणि के विषय का अद्भुत ग्रंथ है। उपशम सम्यक्त्व प्राप्ति, क्षयोपशम और क्षापिक सम्यक्त्व, अनंतानुबंधि कपाय का क्षय, देशविरति और उपशम का तात्विक वर्णन है। प्रवेशकों को संक्षेप में १४ राजलोक, अड़ी द्वीप, नौ तत्व आदि १७ विषयों पर मल्टी कलरमय १८ चित्रों सहित तत्वज्ञान की एका झाँकी। पूज्यश्री प्रस्तुत उत्तम साहित्य Jain Education International For Personal Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004221
Book TitlePaschattap
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, C000, & C020
File Size18 MB
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