________________
मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
दाहिनी ओर:
श्री धरनेन्द्र देव की श्वेत पाषाण की 23" ऊंची प्रतिमा है। इस पर सं.
2022 का लेख है। बाई ओर:
श्री पदमावती देवी की श्वेत पाषाण की 23" ऊंची प्रतिमा है। इस पर
लेख स्पष्ट नहीं है। परिक्रमा क्षेत्र में मंगल मूर्तियां स्थापित है। मूलनायक के बाई ओर मंदिर में : (स्वतन्त्र मंदिर) ___ 1. श्री सहस्त्रफणां पार्श्वनाथ भगवान की (मूलनायक) श्वेत पाषाण की
41" ऊंची प्रतिमा है । इस पर कोई स्पष्ट लेख नहीं है। 2. श्री मुनिसुव्रत भगवान की (मूलनायक के दाएं) श्वेत पाषाण की
19" ऊंची प्रतिमा है। इस पर संवत् 2049 का लेख है। श्री शांतिनाथ भगवान की (मूलनायक के बाएं) श्वेत पाषाण की
19" ऊंची प्रतिमा है। इस पर संवत् 2049 का लेख है। बाहर : (दांई ओर)
श्री नाकोड़ा भैरव की पीत पाषाण की 21" ऊंची प्रतिमा है। इस पर संवत्
2049 का लेख है। बाई ओर: 1. श्री पद्मावती देवी की श्वेत पाषाण की 23" ऊंची प्रतिमा है। इस पर संवत्
2049 का लेख है। 2. स्थानीय पाषाण 11"X10" की चौकी पर एक पादुका जोड़ी स्थापित है। सभामण्डप में: __ 1. सम्मेद शिखर, गिरनार, शत्रुजय तीर्थ व सिद्धचक्र यंत्र के पट्ट है। बाहर परिसर क्षोत्र में :
चतुर्थमुखी (चौमुखाजी) मंदिर सफेद पाषाण का स्थापित है। इस मंदिर के लिए ऐसा कहा जाता है कि यह आकाश मार्ग से जा रहा था, इसी स्थान पर निवासी यति अपने मंत्र प्रयोग से यहाँ पर स्थापित कर दिया।
Jain Education International
For Persone 206 Use Only
www.jainelibrary.org