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________________ मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2 उल्लेखानुसार यह मंदिर यति श्री गौतम विजय जी ने सं. 1850 में बनवाया चारों प्रतिमाएं श्वेत पाषाण की 10" ऊंची प्रतिमा है। इस पर संवत् 1838 शाके 1704 का लेख है। मूलनायक के मंदिर के पीछे की ओर 19"X19" के चौकी पर श्वेत पाषाण की गुरू पादुकाएं स्थापित है। मंदिर के बाहर विशाल भूखण्ड है जहाँ पर धर्मशाला, भोजनशाला बनी हुई लेकिन व्यवस्था सुव्यवस्थित नहीं है । ध्यान देना चाहिए। मंदिर के शिखर का जिर्णोद्धार होने से ध्वजा चढ़ने की तिथी स्पष्ट ज्ञात नहीं हो सकी। समाज की ओर से मंदिर की देखरेख धनपालजीहड़पावत परिवार द्वारा की जाती है। सम्पर्कसूत्र-01478-222275 हमारी खुद की प्रकृति तो सुधरती नहीं, फिर दूसरों की प्रकृति को कैसे सुधारेंगे? Education International For Pep 07 Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004220
Book TitleMewar ke Jain Tirth Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Bolya
PublisherAthwa Lines Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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