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________________ मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2 श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान का मंदिर, प्रतापगढ़ यह शिखारबंद मंदिर प्रतापगढ़ मुख्यालय के तालाब के किनारे स्थित है। उल्लेखानुसार यह मंदिर संवत् 1850 के लगभग यति श्री गोतम विजय जी ने बनवाया इसी परिसर में यति जी के मंदिर को संदर्भित प्रतिमाओं पर सं. 1832 का लेख उत्कीर्ण है। बाद में धीरे-धीरे मंदिर का विस्तार होना सम्भव है। मंदिर का निर्माण कभी भी हो, स्थापित प्रतिमाएं प्राचीन है। इस मंदिर में निम्न प्रतिमाएं स्थापित हैं : श्री पार्श्वनाथ भगवान की (मूलनायक) श्वेत पाषाण की 16" व परिकर तक 31" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 1843 का लेख है। 2-3. श्री पार्श्वनाथ भगवान की (मूलनायक के दाएं व बाएं दोनों ओर) श्वेत पाषाण की 21" ऊंची प्रतिमा है। इन दोनों पर संवत् 1523 का लेख ___1. उत्थापित चल प्रतिमाएँ व यंत्र धातु की: __ श्री पार्श्वनाथ भगवान की 9' ऊँची प्रतिमा है। इस पर हड़पावत परिवार द्वारा भेंट अंकित है। 2. श्री पार्श्वनाथ भगवान की 9' ऊँची प्रतिमा है। इस पर सं. 2063 का लेख है। 3. श्री शांतिनाथ की 8" ऊंची पंचतीर्थी प्रतिमा है। इस पर सं. 2063 का लेख Jain Education International For PS A Private Use Only www.jainelibrary.org (204) vale Use Only
SR No.004220
Book TitleMewar ke Jain Tirth Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Bolya
PublisherAthwa Lines Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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