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________________ (xviii) संप्रदाय में रहे। परन्तु आपको अपने पूर्वजन्मों की स्मृति हो जाने से एकान्तवास में, गिरि-गुफाओं में साधना करने की अंतः प्रेरणा हुई। आपने राजस्थान के बाड़मेर जिले के मोकलसर गांव में ही सर्वप्रथम एकांतवास गुफा में रहना प्रारंभ किया । गुफा से आप केवल एक ही समय दोपहर गोचरी के लिये गाँव में पदार्पण करते थे। शेष पूरा समय आप अपनी साधना में व्यतीत करते थे । आप "ठाम चौविहार" कई वर्षों से करते थे। आपके आसपास जंगली हिंसक पशुओं को फिरते हुए कई लोगों ने अपनी नज़रों से देखा था। वहां से आप सिवाना, चारभुजा रोड, दहाण, खंडगिरिउदयगिरि, बीकानेर, ईडर, अगास, वडवा, ववाणिया, डमरा, आबुजी इत्यादि कई स्थानों पर साधना करते हुए संवत् २०१७ में 'बोरडी' ग्राम में पधारे, जहाँ पर अनेक प्रमुख लोगों के सामने भक्ति का कार्यक्रम हुआ। "भक्ति में क्या शक्ति है" उसकी महिमा उपस्थित लोगों ने अपनी नजरों से देखी। आप को वहाँ देवों द्वारा "युगप्रधान" पद-प्रदान किया गया !! जय जयकार हो रहा था। ___ अपने द्वारा लोगों का कुछ उपकार हो, अपनी साधना का औरों को कुछ संस्पर्श हो, इस हेतु से आप उदयानुसार विचरण करते हुए इस हम्पी ग्राम पधारे। अपने ज्ञानबल से अपनी यह. पूर्व की साधनाभूमि जानकर भव्य जीवों के उपकार हेतु आपने संवत् २०१७ आषाढ़ शुक्ला ११ को अपने परम उपकारी परमकृपालु श्रीमद् राजचन्द्रजी के नाम से आश्रम की स्थापना की। आपकी ज्ञान धारा इतनी निर्मल थी कि उसका अनुभव आपके सम्पर्क में आये हुए कई महानुभावों को हुआ है। अवधिज्ञान के उपरान्त मनःपर्यवज्ञान की कई घटनाएँ ‘अमेक मुमुक्षुओं को अपने आप देखने में आई। अध्यात्म सम्बन्धी अनेक मुमुक्षुओं के मन में उठी हुई शंकाओं का समाधान बिना पूछे ही आप अपने प्रवचनों में कर दिया करते थे। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004217
Book TitleBhakti Kartavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapkumar J Toliiya
PublisherShrimad Rajchandra Ashram
Publication Year1983
Total Pages128
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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