________________
प्रवचन-7 वेदनीय कर्म के भेद और बँध हेतु
वेदनीय कर्म के दो भेद हैं1.शातावेदनीय
जिसके उदय से आत्मा को आरोग्य और इन्द्रिय आदि से उत्पन्न होने वाले सुख का अनुभव होता है। जैसे कि देव का
भव....
वेदनीय कर्म के बन्ध के कारण
+PARE
रे कर्म तेरी गति न्यारी...!! /94
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org