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घंटे इधर-उधर की बातों में, गपशप-पंचायती, अखबार पढ़ने, टीवी देखने में.....प्रमाद में गँवा देते हैं.... । याद रखिये, जो समय को बरबाद करता है समय उसे बरबाद कर देता है।
हर पल शुभ भाव रखने का एक सरल उपाय ढूँढ निकाला गया है शास्त्रों में । जिसे इस धरती पर सांस लेने वाला हर एक इंसान कर सकता है, वह उपाय है....
गंठसी....वेढसी....मुठ्ठसी पचक्खाण !! .
गंठसी- जब तक नवकार गिनने पूर्वक गाँठ खोलू नहीं तब तक अशन आदि (रोटी, पानी, तंबूल, फल आदि) चार आहारों का त्याग यानि अनशन।
वेढसी- नवकार गिनने पूर्वक अंगुली में से अंगूठी निकालूँ नहीं, तब तक चारों आहारों का त्याग। .
मुठ्ठसी- नवकार गिनने पूर्वक मुठ्ठी बाँध कर पारूँ नहीं, तब तक मेरा अनशन चारों आहारों का त्याग।
ऐसे पच्चक्खाण करने से कई आत्माएँ कर्मनिर्जरा करने वाली बनी हैं। पुण्य का उपार्जन करने वाली बनी हैं।
कपर्दी यक्ष सिद्धगिरिराज पर आप गये हैं न...? वाघणपोल में प्रवेश कर दायें हाथ पर देखेंगे तो वहाँ कपर्दी यक्ष की स्थापना की गई है। उनका इतिहास बड़ा ही रोचक और रसप्रद है।
आचार्य वज्रस्वामीजी को जंगल में एक जुलाहा मिला। वज्रस्वामीजी ने उसे समझाया कि 'तुमसे तप-त्याग नहीं होता हो
रे कर्म तेरी गति न्यारी...!! /68
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