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ये चारों अंतर समान नाप वाले हो.....एवं जिसमें सभी अवयव शास्त्र में बताये गये शुभ लक्षणों से युक्त हो... उसे समचतुरस्र संस्थान कहते हैं और यह संस्थान जिस कर्म के उदय से मिले उसे समचतुरस्त्र संस्थान नामकर्म कहते हैं।
2. न्यग्रोध परिमंडल संस्थान नामकर्म
बरगद का पेड़ ऊपर की ओर सौन्दर्यसंपन्न होता है और नीचे की ओर कृश एवं सौंदर्यरहित होता है। इसी तरह जिस कर्म के उदय से नाभि के ऊपर का भाग शास्त्रोक्त शुभ लक्षणों से सहित होता है और नीचे का आकार शुभ लक्षणों से रहित होता है।
3. सादिसंस्थान नामकर्म
जिस कर्म के उदय से जीव को नाभि के ऊपर का भाग शास्त्रीय लक्षणों से रहित और नीचे का भाग शास्त्रीय लक्षणों से सहित मिलता है अर्थात् दूसरे नंबर के संस्थान से बिल्कुल
उल्टा ।
4. कुब्ज संस्थान नामकर्म
हाथ, पाँव, मस्तक और ग्रीवा का भाग शास्त्रीय लक्षणों से सहित हो और पेट तथा हृदय (छाती) लक्षण रहित हो....उसे कुब्ज संस्थान कहते हैं। यह संस्थान जिस कर्म के उदय से मिले . उसे कुब्ज संस्थान नामकर्म कहते हैं।
5. वामनसंस्थान नामकर्म
जिस कर्म के उदय से जीव को कुब्ज से ठीक उल्टा संस्थान मिले.....अर्थात् पेट और छाती तो लक्षण युक्त हो पर हाथ, पाँव, मस्तक और गर्दन शास्त्रीयलक्षण से रहित हो।
रे कर्म तेरी गति न्यारी...!! / 135
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