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बँधता है। धवलबैल ने फटके सहन किये, मरकर शूलपाणि यक्ष बना।
10. माता-पिता को नमस्कार असहाय में सहायता करने वाले माता-पिता को नमस्कार करने से शातावेदनीय का बँध होता है। माँ-बाप का उपकार अनगिनत है। अपना जीव जब से गर्भ में प्रवेश करता है, तब से माँ-बाप के उपकारों का सिलसिला शुरू हो जाता है।
माता के शरीर से मांस-खून और मज्जा की प्राप्ति है, तो पिता की देह से हड्डी, बाल, रोंगटे, नाखून आदि मिलते हैं।
बालक गर्भ में रहता है, तभी से माता को कई संयम रखने पड़ते हैं।
1. अत्यन्त गरम वस्तु खा जाये - चाय आदि पी जाये, तो गर्भ बलहीन बनता है।
2. गुड़-घी आदि कफजनक वस्तुएँ ज्यादा खा जाये, तो बच्चे को पांडु रोग हो जाता है। . 3. सूंठ आदि पित्तजनक खा जाये तो बच्चा बीमार रहता है।
4. वायुकारक पदार्थ खा जाये तो बच्चा कुब्ज बनता है।
5. दिन में गर्भवती माँ सो जाये तो बच्चा सोने की आदत वाला आलसी बनता है।
___6. ज्यादा स्नान, विलेपन, पफ-पाउडर-लिपस्टिक आदि . लगाये, तो गर्भ दुराचारी बनता है।
रे कर्म तेरी गति न्यारी...!! /99
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