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________________ 1. संख्यावाची शब्द अपभ्रंश भाषा में प्राकृत भाषा के अनुसार दो के लिए 'दो' और 'वे' का प्रयोग किया जाता है। प्रथमा विभक्ति बहुवचन - दुवे, दोण्णि, वेण्णि, दुण्णि, विण्णि द्वितीया विभक्ति बहुवचन - दुवे, दोण्णि, वेण्णि, दुण्णि, विण्णि . तृतीया विभक्ति बहुवचन - दोहि, वेहि पंचमी विभक्ति बहुवचन - दोहिन्तो, वेहिन्तो चतुर्थी व षष्ठी विभक्ति बहुवचन - दोण्ह, दोण्हं, वेण्ह, वेण्हं सप्तमी विभक्ति बहुवचन - दोसु, वेसु का प्रयोग किया जाता है। अपभ्रंश भाषा में प्राकृत भाषा के अनुसार तीन के लिए 'ति' का प्रयोग किया जाता है। प्रथमा विभक्ति बहुवचन - तिण्णि द्वितीया विभक्ति बहुवचन - तिण्णि तृतीया विभक्ति बहुवचन - तीहिं पंचमी विभक्ति बहुवचन - तीहिन्तो चतुर्थी व षष्ठी विभक्ति बहुवचन - तिण्ह, तिण्हं सप्तमी विभक्ति बहुवचन - तीसु ----------- अपभ्रंश भाषा में प्राकृत भाषा के अनुसार चार के लिए 'चउ' का प्रयोग किया जाता है। प्रथमा विभक्ति बहुवचन - चत्तारो, चउरो, चत्तारि :---- 3. (76) अपभ्रंश-हिन्दी-व्याकरण Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004214
Book TitleApbhramsa Hindi Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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