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प्रेरणार्थक भूतकालिक कृदन्त
(क) हसावि + अ / य = हसाविअ / हसाविय ( हँसाया गया) हास+अ/य = हासिअ / हासिय (हँसाया गया) करावि+अ/य कराविअ / कराविय (कराया गया)
कार+अ/य =
कारिअ / कारिय (कराया गया)
(ख)
(क)
(ख)
=
= हसावमाण (हँसाता हुआ)
नोट- यहाँ हसावि के बाद 'अ' विकरण लगाया गया है क्योंकि अपभ्रंश में क्रियाओं को
अकारान्त करने की प्रवृत्ति होती है।
हास + न्त
प्रेरणार्थक वर्तमान कृदन्त
= हसावन्त (हँसाता हुआ)
हसावि + अ + न्त हसावि + अ + माण
1.
हासु + माण = हासमाण (हँसाता हुआ)
करावि + अ + न्त = करावन्त (करवाता हुआ)
करावि + अ + माण = करावमाण (करवाता हुआ)
नोट- यहाँ करावि के बाद 'अ' विकरण लगाया गया है क्योंकि अपभ्रंश में क्रियाओं को
अकारान्त करने की प्रवृत्ति होती है।
कार+न्त = कारन्त ( करवाता हुआ )
कार+माण = कारमाण (करवाता हुआ)
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= हासन्त (हँसाता हुआ)
प्रेरणार्थक विधि कृदन्त
हसावि+अव्व आदि = हसाविअव्व आदि (हँसाया जाना चाहिए)
हसावि+इएव्व ं = हसाविएव्वउं (हँसाया जाना चाहिए)
हसावि + एव्व ं = हसावेव्वउं (हँसाया जाना चाहिए)
सावि + एव
हसावेवा (हँसाया जाना चाहिए)
अपभ्रंश - हिन्दी-व्याकरण
=
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(73)
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