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स्वार्थिक प्रत्यय 1. अपभ्रंश भाषा में 'अ', 'अड' और 'उल्ल' स्वार्थिक प्रत्यय होते
हैं। इनमें से कोई भी एक, दो अथवा कभी-कभी तीनों एक साथ संज्ञाओ में जोड़ दिए जाते हैं। इस प्रकार कुल स्वार्थिक प्रत्यय सात हो जाते हैं। (1) अ (2) अड (3) उल्ल (4) अडअ (5) उल्लअ (6) उल्लअड/उल्लड (7) उल्लअडअ/उल्लड। उपर्युक्त स्वार्थिक प्रत्यय जोड़ने पर मूल अर्थ में कोई परिवर्तन नहीं होता है। संज्ञा शब्दों में स्वार्थिक प्रत्यय जोड़ने के पश्चात् विभक्ति बोधक प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसे(जीविय+अ) = जीवियअ (जीवित ) जीवियअ/जीवियआ/जीवियउ/जीवियओ (प्रथमा विभक्ति, एकवचन) (जीव+अड) = जीवड (जीव) जीवड/जीवडा/जीवडु/जीवडो (प्रथमा विभक्ति, एकवचन) (गोर+अड) = गोरड →गोरडी (पत्नी) (प्रथमा विभक्ति, एकवचन) (कुडी+उल्ल) = कुडुल्ल-कुडुल्ली (झोंपड़ी) (प्रथमा विभक्ति,
एकवचन) (अपभ्रंश भाषा में स्त्रीलिंग में ई प्रत्यय जोड़ा जाता है)। (ii) (हिअ+अड+अ) = हिअडअ (हृदय) .
(चुड+उल्ल+अ) = चुडुल्लअ (कंकण)
(कन्न +उल्ल+अड) = कन्नुल्लड (कान) (iii) (बाहुबल+उल्ल+अड+अ) = बाहुबलुल्लडअ (भुजा का बल)
(i)
2.
अपभ्रंश भाषा में स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के अन्त में स्थित 'अकार'को 'आ' प्रत्यय की प्राप्ति होने के पहले 'इकार' वर्ण की प्राप्ति हो जाती है। जैसे(धूलि+अड) = धूलड (धूलड+आ) = धूलडिआ (धूलि-रजकण)
(68)
अपभ्रंश-हिन्दी-व्याकरण
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