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(ख) अपभ्रंश में विधि कृदन्त का भाववाच्य में प्रयोग करने के लिए कर्ता
में तृतीया विभक्ति (एकवचन अथवा बहुवचन) होगी। कृदन्त में कोई परिवर्तन नहीं होगा। जैसे
हसिएव्वउं/हसेव्वउं/हसेवा = हँसा जाना चाहिए। नोट- विधि कृदन्त कर्तृवाच्य में प्रयुक्त नहीं होता है।
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क्रिया का कर्मवाच्य में प्रयोग-नियम सकर्मक क्रियाओं से कर्मवाच्य बनाने के लिए प्राकृत भाषा के अनुसार 'इज्ज' और 'इ'/'इय' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। कर्ता में तृतीया विभक्ति (एकवचन अथवा बहुवचन) होगी। कर्म में द्वितीया विभक्ति (एकवचन अथवा बहुवचन) के स्थान पर प्रथमा विभक्ति (एकवचन अथवा बहुवचन) होगी। क्रिया में उपर्युक्त प्रत्यय जोड़ने के पश्चात् (प्रथमा में परिवर्तित) कर्म के अनुसार 'क्रिया' में पुरुष और वचन के प्रत्यय काल के अनुरूप जोड़ दिए जाते हैं। 'इज्ज' और 'इ'/'इय'प्रत्यय वर्तमानकाल, भूतकाल तथा
विधि एवं आज्ञा में लगाये जाते हैं। जैसे(क) (कोक+इज्ज+इ) = कोकिज्जइ = बुलाया जाता है। (व.अ.पु. एक.)
(कोक+इज्ज+ए) = कोकिज्जए = बुलाया जाता है। (व.अ.पु. एक.) (कोक+इज्ज+दि) कोकिज्जदि = बुलाया जाता है। (व.अ.पु. एक.) (कोक+इज्ज+दे)= कोकिज्जदे = बुलाया जाता है। (व.अ.पु. एक.) (कोक+इय+इ) = कोकियइ = बुलाया जाता है। (व.अ.पु. एक.) (कोक+इय+ए) = कोकियए = बुलाया जाता है। (व.अ.पु. एक.) (कोक+इय+दि)= कोकियदि = बुलाया जाता है। (व.अ.पु. एक.)
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अपभ्रंश-हिन्दी-व्याकरण
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