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(ख) (हस+इज्ज+ईअ) = हसिज्जईअ (हसिज्जीअ) = हँसा गया।
(भू.अ.पु.एक.) (हस+इअ+ईअ) = हसिअईअ (हसिईअ) = हँसा गया।
(भू.अ.पु.एक.) (ग) (i) (हस+इज्ज+उ) = हसिज्जउ = हँसा जाए। (वि.अ.पु.एक.)
(हस+इज्ज+दु) = हसिज्जदु = हँसा जाए। (वि.अ.पु.एक.) (i) (हस+इअ+उ) = हसिअउ = हँसा जाए। (वि.अ.पु.एक.)
(हस+इअ+दु) = हसिअदु = हँसा जाए। (वि.अ.पु.एक.)
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2.
भविष्यत्काल में क्रिया का भविष्यत्काल कर्तृवाच्य रूप ही बना
रहता है उसमें 'इज्ज' और 'इ' प्रत्यय नहीं लगते। जैसे(क) (हस+स+इ) = हसिसइ/हसेसइ = हँसा जायेगा। (भ.अ.पु.एक.)
(हस+स+ए) = हसिसए/हसेसए = हँसा जायेगा। (भ.अ.पु.एक.) (हस+स+दि) = हसिसदि/हसिसदि = हँसा जायेगा। (भ.अ.पु.एक.)
(हस+स+दे) = हसिसदे/हसेसदे = हँसा जायेगा। (भ.अ.पु.एक.) (ख) (हस+हि+इ) = हसिहिइ/हसेहिइ = हँसा जायेगा। (भ.अ.पु.एक.)
(हस+हि+ए) = हसिहिए/हसेहिए = हँसा जायेगा। (भ.अ.पु.एक.) (हस+हि+दि) = हसिहिदि/हसेहिदि = हँसा जायेगा। (भ.अ.पु.एक.) (हस+हि+दे) = हसिहिदे/हसेहिदे = हँसा जायेगा। (भ.अ.पु.एक.)
-------- नोट- अपभ्रंश भाषा में शब्द-रचना-प्रवृत्ति कहीं-कहीं प्राकृत भाषा' के
अनुसार होती है और कहीं-कहीं पर शौरसेनी भाषा के समान भी होती
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1.
हेमचन्द्र वृत्ति 4/329
(62)
अपभ्रंश-हिन्दी-व्याकरण
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