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कृदन्तों के प्रत्यय
विधि कृदन्त 1.(क) अपभ्रंश भाषा में ‘चाहिए' अर्थ में विधि कृदन्त का प्रयोग किया
जाता है। विधि कृदन्त में 'इएव्वउं', 'एव्वउं' और 'एवा' प्रत्यय क्रियाओं में जोड़े जाते हैं। जैसे1. (हस+इएव्वउं) = हसिएव्वउं (हँसा जाना चाहिए) 2. (हस+एव्वउं) = हसेव्वउं (हँसा जाना चाहिए)
3. (हस+एवा) = हसेवा (हँसा जाना चाहिए) (ख) अपभ्रंश भाषा में प्राकृत भाषा के अनुसार विधि कृदन्त में अव्व,
यव्व, तव्व और दव्व' प्रत्यय भी क्रियाओं में जोड़े जाते हैं और अकारान्त क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'ई' और 'ए' हो जाता है।
जैसे
(हस+अव्व) = हसिअव्व/हसेअव्व (हँसा जाना चाहिए) (हस+यव्व) = हसियव्व/हसेयव्य (हँसा जाना चाहिए) (हस+तव्व) = हसितव्व/हसेतव्व (हँसा जाना चाहिए) (हस+दव्व) = हसिदव्व/हसेदव्व (हँसा जाना चाहिए)
सम्बन्धक भूतकृदन्त 2. (i) अपभ्रंश भाषा में 'करके अर्थ में संबंधक भूतकृदन्त का प्रयोग किया
जाता है। संबंधक भूतकृदन्त में 'इ', 'इउ', 'इवि', अवि', 'एप्पि', 'एप्पिणु', ‘एवि' और 'एविणु' प्रत्यय क्रिया में जोड़े जाते हैं। जैसे
अपभ्रंश-हिन्दी-व्याकरण
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