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(हो+सी) = होसी = (वे दोनों/वे सब) हुए/हुईं। (भू.अ.पु.बहु.) - (हो+ही) = होही = (वे दोनों/वे सब) हुए/हुई। (भू.अ.पु.बहु.) (हो+हीअ) = होहीअ = (वे दोनों/वे सब) हुए/हुईं। (भू.अ.पु.बहु.)
9.
भविष्यत्काल
— उत्तम पुरुष एकवचन 1/1 अपभ्रंश भाषा में अकारान्त, आकारान्त, ओकारान्त आदि क्रियाओं में भविष्यत्काल के अर्थ में विकल्प से 'स' प्रत्यय जोड़ा जाता है, इसको जोड़ने के पश्चात् वर्तमानकाल के उत्तम पुरुष एकवचन का 'उ' प्रत्यय जोड़ दिया जाता है और अकारान्त क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'इ' और 'ए' हो जाता है। जैसे(हस+स+उं) = हसिसउं/हसेसउं = (मैं) हँसूंगा/हलूंगी। (भ.उ.पु.एक.) (ठा+स+3) = ठासउं (मैं) ठहरूँगा/ठहरूंगी। (भ.उ.पु.एक.) (हो+स+3) = होसउं (मैं) होऊँगा/होऊँगी। (भ.उ.पु.एक.) इसके अतिरिक्त उपर्युक्त क्रियाओं में भविष्यत्काल के अर्थ में प्राकृत भाषा के अनुसार 'हि' प्रत्यय भी जोड़ा जाता है, इसको जोड़ने के पश्चात् प्राकृत भाषा के अनुसार वर्तमानकाल के उत्तम पुरुष एकवचन का 'मि' प्रत्यय जोड़ दिया जाता है और अकारान्त क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'इ' और 'ए' हो जाता है। जैसे(हस+हि+मि) = हसिहिमि/हसेहिमि (मैं) हँसूंगा/हँसूंगी। (भ.उ.पु.एक.) (ठा+हि+मि) = ठाहिमि ((मैं) ठहरूंगा/ठहरूंगी। (भ.उ.पु.एक.) (हो+हि+मि) = होहिमि (मैं) होऊँगा/होऊँगी। (भ.उ.पु.एक.)
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अपभ्रंश-हिन्दी-व्याकरण
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