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क्रियाओं के कालबोधक प्रत्यय वर्तमानकाल
उत्तम पुरुष एकवचन 1 / 1
अपभ्रंश भाषा में अकारान्त, आकारान्त, ओकारान्त आदि क्रियाओं के वर्तमानकाल के उत्तम पुरुष एकवचन में विकल्प से 'उ' प्रत्यय क्रियाओं में लगता है। जैसे
(हस + उं) = हसउं = (मैं) हँसता हूँ/हँसती हूँ। (व.उ.पु. एक.)
(ठा+उं)= ठाउं = (मैं) ठहरता हूँ/ठहरती हूँ। (व.उ.पु.एक.)
(हो+उं) = होउं = (मैं) होता हूँ/होती हूँ। (व.उ.पु.एक.) इसके अतिरिक्त वर्तमानकाल के उत्तम पुरुष एकवचन में प्राकृत भाषा के अनुसार 'मि' प्रत्यय भी उपर्युक्त क्रियाओं में लगता है। 'मि' प्रत्यय लगने पर अकारान्त क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'आ' और 'ए' भी हो जाता है। जैसे
( हस+मि) = हसमि / हसामि / हसेमि= (मैं) हँसता हूँ / हँसती हूँ। (व.उपु.एक.)
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(ठा+मि)=ठामि = (मैं) ठहरता हूँ/ठहरती हूँ। (व.उ.पु.एक.)
( हो + मि) = होमि = (मैं) होता हूँ/होती हूँ। (व.उ.पु.एक.)
उत्तम पुरुष बहुवचन 1/2
अपभ्रंश भाषा में अकारान्त, आकारान्त, ओकारान्त आदि क्रियाओं के वर्तमानकाल के उत्तम पुरुष बहुवचन में विकल्प से 'हुँ' प्रत्यय क्रियाओं में लगता है। जैसे
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(हस+हुं) = हसहुं = (हम दोनों/हम सब) हँसते हैं/हँसती हैं। (व.उ.पु.बहु.) (ठा+हु) = ठाहुं
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( हम दोनों / हम सब ) ठहरते हैं / ठहरती हैं। (व.उ. पु. बहु.)
अपभ्रंश - हिन्दी-व्याकरण
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