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________________ प्रथमा द्वितीया तृतीया चतुर्थी व षष्ठी पंचमी सप्तमी प्रथमा द्वितीया तृतीया चतुर्थी व षष्ठी पंचमी सप्तमी एकवचन आय, "आया, आयु, आयो (यह, इसने ) आय, "आया, आयु (इसे, इसको ) आयेण, आयेणं, आयें ( इससे, इसके द्वारा ) पुल्लिंग - आय (यह ) आय, आया, आयसु, *आयासु, आयहो, "आयाहो, (इसके लिए) आयस्सु (इसका, इसकी, इसके ) आयहां, "आयाहां, (इस से) आयहिं, “आयाहिं (इसमें, इस पर ) नपुंसकलिंग - आय (यह ) एकवचन आय, "आया, आयु ( यह, इसने ) आय, आया, आयु ( इंसे, इसको) आयेण, आयेणं, आयें (इससे, इसके द्वारा ) आय, "आया, आयसु, “आयासु, आयहो, “आयाहो, (इसके लिए) आयस्सु (इसका, इसकी, इसके) आयहां, "आयाहां, (इस से) आयहिं, “आयाहिं (इसमें, इस पर) Jain Education International अपभ्रंश - हिन्दी-व्याकरण बहुवचन आय, "आया (ये, इन्होंने) आय, आया (इन्हें, इनको) आयहिं, "आयाहिं, आयेहिं (इनसे, इनके द्वारा ) आय, "आया, आयहं, "आयाहं (इनके लिए) (इनका, इनकी, इनके) आयहुं, "आयाहुं (इन से) आयहिं, “आयाहिं (इनमें, इन पर ) बहुवचन आय, "आया, आयई, आयाई (ये, इन्होंने) आय, "आया, For Personal & Private Use Only आयई, "आयाई ( इन्हें, इनको) आयहिं, “आयाहिं, आयेहिं (इनसे, इनके द्वारा ) आय, "आया, आयहं, “आयाहं (इनके लिए) (इनका, इनकी, इनके) आयहुं, "आयाहुं (इन से) आयहिं, *आयाहिं (इनमें, इन पर ) (103) www.jainelibrary.org
SR No.004214
Book TitleApbhramsa Hindi Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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