SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 154
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तेण पुव्ववये इसीलिए आयु के पूर्व में निकल गया निग्गउ हूँ मेरे द्वारा परिक्खाहे परीक्षा के लिए सभी के सव्वाहु ससुराइ वासाई पुट्ठाई ताए सम्म ससुर आदि के वर्ष (आयु) पूछे गये उसके द्वारा उचित प्रकार से (उत्तर) कहे गये सेठ (ने) पूछता है (पूछा) ससुर कहियाई सेहि पुच्छइ ससुरु अव्यय [(पुव्व)-(वय) 7/1] (निग्गअ) भूकृ 1/1 अनि (अस) व 1/1 अक (अम्ह) 3/1 स अव्यय (परिक्ख) 4/1 (सव्व) 6/2 सवि [(ससुर)+(आइ)] [(ससुर)-(आइ) 6/2] (वास) 1/2 (पुट्ठ) भूकृ 1/2 अनि (ता) 3/1 स अव्यय (कह) भूक 1/2 (सेट्ठि) 1/1 (पुच्छ) व 3/1 सक (ससुर) 1/1 अव्यय (जाअ) भूकृ 1/1 अनि अव्यय (ता) 3/1 स अव्यय (कह) भूकृ 1/1 अनि (मुणि) 3/1 (उत्त) भूकृ 1/1 अनि (ता) 1/1 स अव्यय (पुच्छ) विधि कर्म 3/1 सक। अव्यय (विउसी) 3/1 वि (ता) 3/1 सवि (जहत्थ) 1/1 वि (भाव) 1/1 (णा) व कर्म 3/1 सक नहीं उत्पन्न हुआ Llevable tabelt. Esratkualdkollar जाउ इअ ताए यह उसके द्वारा क्यों कहा गया मुणि के द्वारा कहा गया वह चिअ पुच्छिज्जउ जओ.. पूछी जाए क्योंकि विदूषी के द्वारा उस विउसीए ताए जहत्थु भावु णाइज्ज यथार्थ भाव जाना जाता है (जाने जाते हैं) (ससुर) 1/1 ससुर अपभ्रंश अभ्यास उत्तर पुस्तक 141 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004213
Book TitleApbhramsa Abhyas Uttar Pustak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2011
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy