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संजाउ
जओ
पुत्तवहू
मई उद्दिस्सेवि
ཝཱ ཝཱ སྣྲུཉྫུ ཙྪཱ སྠཽ སྠཽ ༧ ཝཱ ཙྪཱ ཙྪཱ སྶ སྨྲ བྷྲ ཝ སྶ སྱཱ ཟ སྠཽ ཕ
गच्छन्तु
गच्छहि
कहे
जइ
न
जाउ
तो
कह
भो
चव्वेि
भक्खेमि
इअ
हेप्प
1.
अपभ्रंश अभ्यास उत्तर पुस्तक
(संजाअ) भूकृ 1 / 1 अनि
अव्यय
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[ ( पुत्त) - (बहू) 1 / 1] (अम्ह) 2/1 स
(उद्दिस्स) संकृ
अव्यय
(जाअ) भूकृ 1 / 1 अनि
अव्यय
(कह) व 3/1 सक
(रुट्ठ) भूक 1/1 अनि
(त) 1 / 1 स
(पुत्त) 4/1 (कह) हेकृ
(हट्ट) 2/1
(गच्छ) व 3/1 सक
(गच्छ) वकृ 2/1 (ससुर) 2/1
(ता) 1 / 1 स (वय) व 3 / 1 सक (भुञ्ज) संकृ
(ससुर) 8/1
(तुम्ह) 1 / 1 स (गच्छ) विधि 2/1 सक
(ससुर) 1/1
(कह) व 3 / 1 सक
अव्यय
( अम्ह) 1 / 1 स
अव्यय
(जाअ) भूकृ 1 / 1 अनि
(अस) व 1/1 अक
अव्यय
अव्यय
(कह) संकृ
कहने के योग में चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।
अव्यय
(भोयण) 2/1
(चव्व) व 1 / 1 सक
(भक्ख) व 1 / 1 सक
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हुआ
क्योंकि
पुत्रवधु
मुझको
लक्ष्य करके
नहीं
उत्पन्न हुआ
इस प्रकार
कहती है
रूठ गया
वह
पुत्र को
कहने के लिए
दुकान को (पर)
जाता है (गया)
जात हुए
को
ससुर
वह
कहती है
भोजन करके
हे ससुर !
तुम (आप) जाओ ( जाएँ)
ससुर
कहता है
यदि
नहीं
उत्पन्न हुआ
हूँ
तो
कैसे
भोजन
चबाता हूँ (चबाऊँगा) खाता हूँ (खाऊँगा)
इस प्रकार
कहकर
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