________________
मच्चु होसइ
मृत्यु होगी इस प्रकार नहीं (है)
नत्थि
नाणु
ज्ञान
तेण
समय
विणा
निग्गउ
सा
इसलिए समय बिना निकल गया वह उत्तर को समझकर सन्तुष्ट हुई मुनि के द्वारा
उत्तर
णाएवि
तु
वह पूछी गई कितने
वरिसा
(मच्छु) 1/1 (हो) भवि 3/1 अक अव्यय अव्यय - (नाण) 1/1 अव्यय (समय) 2/1 अव्यय (निग्गअ) भूकृ 1/1 अनि (ता) 1/1 स. (उत्तर) 2/1 (णा) संकृ . (तुट्ठ) भूकृ 1/1 अनि (मुणि) 3/1 अव्यय (ता)1/1 स (पुट्ठ) भूकृ 1/1 अनि अव्यय (वरिस) 1/2 (तुम्ह) 1/1 स (संजाय) भूकृ 1/2 अनि (मुणि) 6/1 [(पुच्छा)-(भाव) 2/1] (णा) संकृ [(वीस)-(वास) 7/2] (जाअ) भूकृ 7/2 अनि अव्यय (ता) 3/1 स [(बारस)-(वास) 1/1] अव्यय (उत्त) भूकृ 1/1 अनि
अव्यय (तुम्ह) 6/1 स (सामि) 6/1 (कइ) 1/2 वि (वास) 1/2 (जाअ) भूकृ 1/2 अनि अव्यय
वर्ष (हुए)
तुम्हे
संजाया
उत्पन्न हुए
मुणि
मुनि के
पुच्छाभावु णाइ वीसवासेहिं .. जाहिं
प्रश्न के आशय को जानकर बीस वर्ष होने पर
वि.
ताए
बारसवासु
उसके द्वारा बारह वर्ष इस प्रकार कहे गये फिर तुम्हारे स्वामी के कितने
सामि
कई
वासा
वर्ष
जाआ
हुए
त्ति
इस प्रकार
अपभ्रंश अभ्यास उत्तर पुस्तक
135
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org