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साहु
घरे
आगय
देखेप्पि
आहारे
विज्जमा
वि
ताए
वियारिय
जोव्वणे
महव्वय
महादुल्ल हु
कह
ཤྲཱ ཝཱ, ཝཱ,
एतहिं
जोव्वणत्तणे
गहीय
इति
परिक्खेवं
समस्साहे
उत्तरु
पुट्ठ
अहुणा
समउ
लै है है और "
संजाउ
पुव्वं
निग्गया
हिये
गउ
སྭཱ ཡཾ ཝཱ, ཟ ལླ
समयनाणु
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(साहु) 2/1
(घर) 7/1 (आग) भूक 2 / 1 अनि
(देक्ख) संकृ
(आहार) 7/1
(विज्ज) वकृ 7/1
अव्यय
(ता) 3 / 1 स (वियार) भूकृ 1/1
( जोव्वण) 7/1
( महव्यय) 1 / 1
( महादुल्लह) 1/1
अव्यय
( एत) 3 / 1 स
(एत) 7/1 सवि
[(जोव्वण) - (त्तण) 7/1] (गहीय) भूकृ 1 / 1 अनि
अव्यय
(परिक्ख) कृ
( समस्सा) 6/1
(उत्तर) 1 / 1
(पुट्ठ) भूकृ 1 / 1 अनि
अव्यय
(समअ) 1 / 1
अव्यय
(संजाउ) भूकृ 1 / 1 अनि
अव्यय
अव्यय
(निग्गय) भूकृ 1 / 1 अनि
(ता) 6 / 1 स (हियय) 7/1 (गअ) भूक 2/1 अनि
(भाव) 2/1
(णा) संकृ (साहु) 3/1
(उत्त) भूकृ 1 / 1 अनि [(समय) - (नाण) 1 / 1]
अव्यय
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साधु को
M
आया हुआ
देखकर
आहार
ही
उसके द्वारा
विचार किया गया
यौवन में
महाव्रत
अत्यन्त दुर्लभ (है)
कैसे
इसके (इनके) द्वारा
इस
यौवन अवस्था में
ग्रहण किये गये
इस प्रकार
परीक्षा के लिए
समस्या का
उत्तर
पूछा गया
अभी
समय
नहीं
हुआ
क्यों
पहले ही (आप)
निकल गए
उसके
हृदय
में
उत्पन्न हुए)
भाव को
जानकर
द्वारा
कहा गया
समय, ज्ञान ( है )
कब
अपभ्रंश अभ्यास उत्तर पुस्तक
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