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उवएसदाणें
नियभत्तारु
सव्वण्ह
धम्में
वासिउ
$$$$
कालंतरे
बोइ
ससुर
◎
पडिबोहेवं
सा
समयु
मग्गेइ
4.
एगया
घरि
समणगुणगणा
mfertitat
महव्वइ
समागउ
थु
गहीयवय
अपभ्रंश अभ्यास उत्तर पुस्तक
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[ ( उवएस) - (दाण) 3 / 1]
[ ( निय) वि - ( भत्तार ) 1 / 1]
( सव्वण्ह) 6 / 1
(धम्म) 3/1
(वास) भूकृ 1 / 1 (अ) भूकृ 1 / 1 अनि
अव्यय
(सासू) 2/1
अव्यय
[(काल) + (अंतर )]
[(काल) - (अंतर) 7/1]
(बोह) व 3 / 1 सक
(ससुर) 2/1
(पडिबोह) हेकृ
(ता) 1 / 1 स
(समय) 2 / 1 स (मग्ग) व 3 / 1 सक
अव्यय
(ता) 6/1 स
(घर) 7/1
[(समण) - (गुण) - (गण) + (अलंकिउ)]
[ ( समण ) - ( गुण) - ( गण ) -
(अलंकिअ) भूकृ 1/1 अनि ] (महव्वइ) 1 / 1 वि
(नाणि) 1/1 [(जोव्वण) - (त्थ) 1/1 वि ] (एक्क) 1 / 1 वि
(साहू) 1/1
(HONE) 4/1
(समागअ) भूकृ 1/1 अनि
(जोव्वण) 7/1
उपदेश देने से
निजपति
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सर्वज्ञ के
धर्म से
संस्कारित
किया गया
इस प्रकार
सासू को भी
कुछ समय पश्चात्
समझाती है।
ससुर को
समझाने के लिए
वह
समय
खोजती है (खोजने लगी)
एक बार
उसके
घर में
श्रमण गुण समूह से अलंकृत
महाव्रती
ज्ञानी
यौवन में स्थित
एक
साधु
भिक्षा के लिए
आए
यौवन में
अव्यय
ही
[(गहीय) भूक अनि - (वय) 2 / 1 ] ग्रहण किये हुए व्रत को (संत) 2 / 1 वि (दंत) 2/1 वि
शान्त जितेन्द्रिय
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