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________________ वयपालणे (व्रत के पालन से ) नियम 2 - छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुषं समास) पियलोयणे (स्नेही के दर्शन से) नियम 2 - छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास ) उच्चकहाणी (उच्च की कहानी) नियम 2 - छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास ) मंतिपयम्मि (मंत्री पद पर ) नियम 2 - छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास ) सीलणिहि (शील के निधान) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास ) विलासिणिमंदिरासु (विलासिनी के घर को ) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास ) धरणिईसु (पृथ्वी का मुखिया) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) रायणेहु (राजा के स्नेह को) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास ) णिवणंदणु (राजा का पुत्र) नियम 2 - छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास ) परममित्तु (परममित्र) नियम 2.1- कम्मधारय समास ( कर्मधारय समास ) पाठ 12 - करकंडचरिउ हि इच्छिr (मन के लिए चाही गई ) नियम 2 26 Jain Education International चउत्थी विभत्ति तप्पुरिस समास (चतुर्थी तत्पुरुष समास ) लउडि-खग्ग ( लकड़ियाँ और तलवारें ) नियम 1 पाठ 13-धण्णकुमार चरिउ दंद समास (द्वन्द्व समास ) अपभ्रंश-व्य - व्याकरण एवं छंद - अलंकार अभ्यास उत्तर पुस्तक For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004212
Book TitleApbhramsa Vyakaran evam Chand Alankar Abhyas Uttar Pustak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages72
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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