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भगण भगण गु.गु. भगण भगण गु.गु. . 5।। ।। 55 5।।5।। 55 खेयरु हूयउ कीरो, पव्वयमत्थय - धीरो। 123 4 56 78 12 34 56 78 भगण भगण गु.गु. भगण भगण गु.गु. 5।।। ।। ।। ।। 55 भोयसएहिँ णभग्गो, कंतहे णेहइँ लग्गो। .... 123 4 5 678 12 3 4 56 78
करकंडचरिउ 8.3.1-2 अर्थ- वह खेचर एक पर्वत के मस्तक (शिखर) पर धैर्यवान सुआ हुआ। वह आकाश में उड़ता हुआ अपनी कान्ता के स्नेह में लगकर सैकड़ों भोगों सहित (सुख से रहता हुआ दीर्घकाल तक भोग भोगता रहा)। 22. भुजंगप्रयात छन्द लक्षण- इसमें चार चरण होते हैं (चतुष्पदी)। प्रत्येक चरण में 12 वर्ण और चार यगण (155) आते हैं। उदाहरणयगण यगण यगण यगण ।ऽ ऽ । ऽऽ ।ऽऽ।ऽऽ भडो को वि दिट्ठो परिच्छिन्न गत्तो, 1 2 3 4 56 78910 1112 यगण यगण यगण यगण । ऽ ऽ ।ऽऽ ।ऽऽ ।ऽऽ स-दन्ती स-मन्ती स-चिन्धो स-छत्तो । 1 2 3 4 56 7 8 9 101112 यगण यगण यगण यगण
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अपभ्रंश अभ्यास सौरभ (छंद एवं अलंकार)
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