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इच्छित मार्ग से आ पहुँचे। इस कडवक की रचना स्रग्विणी छंद में हुई है। 20. समानिका छन्द लक्षण- इसमें चार चरण होते हैं (चतुष्पदी)। प्रत्येक चरण में क्रमशः रगण (ड। 5), जगण (151), गुरु (5), लघु (।) आते हैं व आठ वर्ण होते हैं। उदाहरणरगण जगण ग ल रगण जगण गल ऽ ।ऽ । ऽ । ऽ।ऽ ।ऽ। । मे कणिटु भाइ एक्कु, मंडलं तरम्मि थक्कु । 1 234 5 6 7 8 1 2 3 4 5 6 7 8 रगण जगण ग ल · रगण जगण गल 5 ।। । । । । । । वच्छरेसु आउ अज्जु, जाणिऊण तुज्झ कज्जु ।। 12345678 12 34 5 6 78
जंबूसामिचरिउ 9.17. 9-10 अर्थ- मेरा एक कनिष्ठ भाई जो तभी से देशान्तर में रहता था, वह आज तेरा विवाह कार्य जानकर (आया है)। 21: चित्रपदा छन्द लक्षण - इसमें चार चरण होते हैं (चतुष्पदी)। प्रत्येक चरण में दो भगण (5 ।।) और दो गुरु (s 5) होते हैं व आठ वर्ण होते हैं। उदाहरण
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अपभ्रंश अभ्यास सौरभ . (छंद एवं अलंकार)
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