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11. दीपक छन्द
लक्षण - इसमें चार चरण होते हैं। प्रत्येक चरण में 10 मात्राएँ होती हैं। चरण
के अन्त में लघु ( 1 ) होता है।
उदाहरण
ऽ ।।। ऽऽ।
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ता हयइँ तूराइँ, भुवणयल-पूराइँ ।
ऽ ऽ । ऽ ऽ ।
ऽ ऽ । ऽ ऽ ।
वज्जंति वज्जाइँ, सज्जति सेण्णाइँ |
करकंडचरिउ 3.15.1-2
अर्थ- तब नगाड़ों पर चोट पड़ी जिससे भुवनतल पूरित हो गया। बाजे बज
रहे हैं और सैन्य सज रहे हैं।
12. करमकरभुजा छन्द
लक्षण- इसमें चार चरण होते हैं (चतुष्पदी) । प्रत्येक चरण में आठ मात्राएँ होती हैं व चरण के अन्त में लघु-गुरु (15) होते हैं।
उदाहरण
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भीसावणिया, संतावणिया ।
ऽ ऽ ।। ऽ SSIIS विद्दावणिया, सम्मोहणिया ।
'अर्थ भयोत्पादिका, सन्तापिका, विद्रावणिका, सम्मोहनिका ।
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अपभ्रंश अभ्यास सौरभ (छंद एवं अलंकार)
णायकुमारचरिउ 6.6.9-10
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