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कृतज्ञता की अभिव्यक्ति के लिए शब्द अपर्याप्त है। विविध बौद्धिक कार्यों के होते हुए भी उन्होंने इस कार्य के प्रकाशन में व्यक्तिगत रुचि ली और उन्होंने एक से अधिक बार प्रूफों का संशोधन किया। मैं मन से धन्यवाद अर्पित करता हूँ जीवराज जैन ग्रंथमाला के ट्रस्टियों का जिन्होंने इस कार्य के प्रकाशन की व्यवस्था की। मैं अत्यन्त ऋणी हूँ श्री ... पी. सिन्हा, प्राचार्य, आर. आर. कॉलेज, अलवर (राजस्थान) का जिन्होंने मुझे ऐसे कार्यों को करने के लिए सभी प्रकार की आवश्यक सुविधाएँ प्रदान की। मैं मेरे मित्र श्री बी. आर. भण्डारी को धन्यवाद देता . . . हूँ जिन्होंने अपना अत्यधिक समय अनुक्रमणिका तैयार करने में लगाया। इस अवसर पर मुझे धन्यवाद देना नहीं भूलना चाहिये अपनी पत्नी : श्रीमती कमला देवी सोगाणी को जिन्होंने अपने बहुत से स्वार्थों के त्याग द्वारा और मूल स्रोतों से सामग्री निकालने में मदद द्वारा मुझे व्यावहारिक प्रोत्साहन दिया। उदयपुर
के. सी. सोगाणी 1. 3. 67
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